बैक्टीरिया का उपयोग करके प्लास्टिक कचरे को पैरासिटामोल में बदल रहे हैं वैज्ञानिक, जानिए कैसे
क्या है खबर?
बुखार और शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होने पर भारत के लोग सबसे पहले पैरासिटामोल का सेवन कर लेते हैं। यह एक तरह की दवाई है, जो एसिटामिनोफेन नाम से भी जानी जाती है। अब एक नए परिक्षण के जरिए सामने आया है कि वैज्ञानिक इस दवाई को प्लास्टिक के कचरे से भी बना सकते हैं। ऐसा करने के लिए बैक्टीरिया का उपयोग करने की जरूरत पड़ती है। आइए इस खोज के विषय में विस्तार से जानते हैं।
विवरण
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया अध्ययन
इस शोध को यूनाइटेड किंगडम (UK) स्थित एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया है, जो प्रोफेसर स्टीफन वालेस के नेतृत्व में पूरा हुआ है। इसे नेचर केमिस्ट्री नामक पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया है। अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने पाया है कि बैक्टीरिया का उपयोग प्लास्टिक कचरे को दर्द निवारक दवाओं में बदलने के लिए किया जा सकता है। इससे पैरासिटामोल का उत्पादन बढ़ जाएगा, जो कि इसकी खपत के मुताबिक जरूरी भी है।
अध्ययन
E कोलाई नामक तत्व का होता है उपयोग
अध्ययन के जरिए पता लगा कि E कोलाई नामक तत्व का उपयोग पैरासिटामोल बनाने में किया जा सकता है। इसके लिए प्रयोगशाला में प्लास्टिक की बोतलों से निकलने वाला पदार्थ इस्तेमाल होता है। वर्तमान में यह दवाई तेल से बनाई जाती है। हालांकि, यह तकनीक दर्शाती है कि पहली बार रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान को मिलाकर पैरासिटामोल को अधिक टिकाऊ तरीके से बनाया जा सकता है। इससे पर्यावरण से प्लास्टिक कचरे को साफ करने में भी मदद मिलेगी।
प्रक्रिया
जानिए प्लास्टिक को दवा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया
शोधकर्ताओं ने यह खोज तब की जब उन्होंने पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET) को टिकाऊ रासायनिक तरीकों का उपयोग करके एक नए पदार्थ में बदला। यह एक प्रकार की प्लास्टिक है, जो अक्सर खाद्य पैकेजिंग और बोतलों में पाई जाती है। जब शोधकर्ताओं ने इस पदार्थ को E कोलाई के साथ मिलाया तो वह एक अन्य पदार्थ में परिवर्तित हो गया, जिसे पाबा के नाम से जाना जाता है। पाबा एक आवश्यक पदार्थ है, जो बैक्टीरिया के विकास में मददगार होता है।
प्रगति
2 जीन का उपयोग करके बन सकी पैरासिटामोल
पाबा कोशिका के अंदर मौजूद पदार्थों से बनता है। हालांकि, शोध में इस्तेमाल किए गए E कोलाई को कोशिकाओं के मार्गों को अवरुद्ध करने के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिसका मतलब है कि बैक्टीरिया को PET-आधारित सामग्री का उपयोग करना पड़ा। इसके बाद शोधकर्ताओं ने E कोलाई को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया और उसमें मशरूम और मिट्टी के बैक्टीरिया से पाए गए 2 जीन डाले गए। इससे बैक्टीरिया पाबा को पैरासिटामोल में परिवर्तित करने में सक्षम हो गए।
बयान
केवल जीव या रसायन विज्ञान से यह नहीं था संभव- वालेस
शोधकर्ताओं ने कहा, "E कोलाई के इस रूप का उपयोग करके हम PET-आधारित प्रारंभिक सामग्री को 24 घंटे से भी कम समय में पैरासिटामोल में बदलने में सक्षम हुए, जिससे 92 प्रतिशत तक की उपज प्राप्त हुई।" प्रोफेसर वालेस ने कहा, "पहली बार हम प्लास्टिक कचरे से पैरासिटामोल तक का मार्ग तय कर पाए हैं, जो केवल जीव विज्ञान का उपयोग करके संभव नहीं है और केवल रसायन विज्ञान का उपयोग करके भी संभव नहीं है।"