माह-ए-रमजान: जानिए इस पाक महीने का महत्व, रोजे रखने के नियम और तारीख
क्या है खबर?
रमजान का पाक महीना जल्द शुरू होने वाला है।
दुनियाभर के मुसलमान रमजान के पूरे महीने रोजा (व्रत) रखते हैं और इसे आध्यात्मिक नवीनीकरण और अल्लाह के साथ अपने संबंध को मजबूत करने के अवसर के रूप में मनाते हैं।
हालांकि, इस महीने की शुरुआत और अंत तय करने के लिए चांद देखना जरूरी होता है।
आइए आज इस पाक महीने के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानकारी
24 मार्च से 24 अप्रैल तक मनाया जाएगा माह-ए-रमजान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में इस साल रमजान 24 मार्च से 24 अप्रैल तक मनाया जाएगा। वैसे तो रमजान की तारीखें हर साल चांद के देखे जाने के आधार पर बदलती हैं, लेकिन यह आमतौर पर 29 से 30 दिनों तक चलता है।
महत्व
रमजान का महत्व
रमजान का पाक महीना इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना होता है।
मुस्लिम समुदाय के लिए यह महीना बेहद खास है क्योंकि यह महीना उस समय को चिन्हित करता है जब पैगंबर मुहम्मद को कुरान शरीफ की पहली आयतें पता चली थीं।
मुस्लिमों का मानना है कि इस महीने में जन्नत के दरवाजे खुलते हैं और जहन्नम के दरवाजे बंद हो जाते हैं। शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है। इस कारण उनकी इबादत में कोई रुकावट नहीं आती।
रस्में
रमजान में शामिल रस्में
रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह होने से पहले उठकर खाना खाते हैं, जिसे सहरी कहा जाता है।
इसके बाद सूर्यास्त के समय भोजन करके रोजा खोलते हैं, जिसे इफ्तार कहा जाता है।
दुनियाभर की मस्जिदों में तरावीह के नाम से जानी जाने वाली रात की नमाज होती है, जिसमें आमतौर पर बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
कई लोग इस महीने के दौरान ज्यादा से ज्यादा दान देते हैं और मानवीय गतिविधियों में शामिल होते हैं।
नियम
रोजा के नियम क्या हैं?
रमजान के महीने में रोजा में आमतौर पर सुबह की पहली रोशनी से लेकर सूरज ढलने तक खाने-पीने और शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करना होता है।
मुसलमानों को इस महीने के 29 से 30 दिनों में से प्रत्येक के लिए रोजा रखना जरूरी है।
यदि कोई व्यक्ति किसी कारण से पूरी महीने रोजा रखने में असमर्थ है, तो वह ज्यादा से ज्यादा दान दें या फिर वह रमजान के बाद भी रोजा रख सकता है।
रोजा रखने की छूट
किन लोगों को है रोजा रखने की छूट?
जो बच्चे अभी यौवन तक नहीं पहुंच पाए हैं, उन्हें रोजा रखने की जरूरत नहीं है।
यदि रोजा रखने से गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं या उनके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा हो सकता है तो उन्हें इससे छूट दी जाती है।
इसके अलावा बुजुर्ग या लंबे समय से बीमार लोगों को भी इससे छूट दी गई है।
यात्रा के दौरान रोजा रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यात्रियों को भी इससे छूट दी गई है।
ईद-उल-फितर
ईद-उल-फितर रमजान महीने की अवधि के अंत का प्रतीक
ईद-उल-फितर रमजान के महीने भर के रोजे के अंत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा इस्लामी त्यौहार है।
यह एक खुशी का मौका है, जो पवित्र महीने के दौरान मुस्लिमों द्वारा अनुभव किए जाने वाले आत्म-प्रतिबिंब और आध्यात्मिक विकास की अवधि के अंत का प्रतीक है।
यह इस्लामिक महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है, जो रमजान के अंत के बाद आता है।