पर्श्वोत्तनासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और अन्य महत्वपूर्ण बातें
योग शरीर को फिट एंड फाइन बनाए रखने में अहम भूमिका अदा कर सकता है, इसलिए हर व्यक्ति को कुछ योगासनों का नियमित अभ्यास जरूर करना चाहिए। महत्वपूर्ण योगासनों की बात करें तो इनमें पर्श्वोत्तनासन भी शामिल है जिसका नियमित रूप से अभ्यास करते रहने से कई तरह के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। चलिए फिर आज पर्श्वोत्तनासन के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
पर्श्वोत्तनासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। फिर अपने दाहिने पैर को थोड़ा आगे की ओर बढ़ाएं और अपने दोनों हाथों से पीठ के पीछे प्रार्थना की मुद्रा बनाएं। अब बिना घुटनों को मोड़े आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद सामान्य हो जाएं। इस अभ्यास के दौरान अगर आप अपने हाथों को पीठ के पीछे नहीं कर पा रहे हैं तो आप उन्हें नीचे जमीन से सटा सकते हैं।
अभ्यास के दौरान बरतें ये सावधानियां
1) अगर आपको उच्च रक्तचाप यानि हाई ब्लड प्रेशर या फिर पीठ के निचले हिससे में किसी तरह की समस्या है तो इस योगासन का अभ्यास करने से बचें। 2) अधिक उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं और मासिक धर्म वाली महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 3) अगर इस योगासन का अभ्यास करते समय हाथों या फिर पैरों में दर्द होता है तो ऐसे में इस योगासन का अभ्यास न करें।
पर्श्वोत्तनासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
पर्श्वोत्तनासन का नियमित तौर पर अभ्यास कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकता है। उदाहरण के लिए, इस योगासन से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों, कंधों, हैम्स्ट्रिंग और कलाइयों में मजबूती आती है। इसके अलावा यह शरीर के पॉश्चर को सही बनाए रखने में भी मदद करता है और इससे शरीर का रक्त संचार बेहतर होता है। यह योगासन चिंता जैसे कई तरह के मानसिक विकारों से भी काफी हद तक राहत प्रदान कर सकता है।
पर्श्वोत्तनासन के अभ्यास से जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्स
1) अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने जा रहे हैं तो सबसे पहले इसकी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ लें और इसके बाद ही इसका अभ्यास करें। 2) संभव हो सके तो किसी योग शिक्षक की निगरानी में इसका अभ्यास करें। 3) इस योगासन की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें और धीरे-धीरे इसका अभ्यास करें। बेहतर होगा अगर आप शुरूआत में दीवार का सहारा लें।