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कमाल के पेंटर भी थे रवींद्रनाथ टैगोर, ये हैं उनकी सबसे मशहूर पेंटिंग

कमाल के पेंटर भी थे रवींद्रनाथ टैगोर, ये हैं उनकी सबसे मशहूर पेंटिंग

लेखन सयाली
Dec 08, 2025
02:25 pm

क्या है खबर?

भारतीय साहित्य और संस्कृति के अहम स्तंभ कहलाए जाने वाले रवींद्रनाथ टैगोर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनकी किताबें, कविताएं, कहानियां और गीत आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। ज्यादा लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि गुरुदेव एक कमाल के पेंटर भी हुआ करते थे। उन्हें जानवरों और प्रकृति के साथ-साथ खुद की पेंटिंग बनाना भी पसंद था। आइए आज उनकी सबसे मशहूर पेंटिंग के बारे में जानते हैं।

#1

नाचती हुई महिला

टैगोर की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है 'डांसिंग वीमेन' यानि 'नाचती हुई महिला'। उन्होंने यह कलाकृति 1940 में बनाई थी, जिसमें एक महिला हाथों में मशाल पकड़कर नाचती नजर आ रही है। उनका मानना ​​था कि नृत्य और संगीत मानव शरीर की सर्वोत्तम अभिव्यक्तियां होती हैं। उन्होंने पेंटिंग में जो महिला बनाई, उसका आधा शरीर चिड़िया का है। टैगोर ने रेखाओं की मदद से महिला के शरीर को थिरकता हुआ दिखाया है।

#2

महिला का चेहरा

टैगोर ने 1931 में एक सुंदर-सी पेंटिंग की रचना की थी, जिसका शीर्षक 'महिला का चेहरा है'। आप नाम से ही समझ गए होंगे कि इसमें एक महिला का चेहरा बनाया गया है। यह पेंटिंग सीपिया स्याही या पेस्टल रंगों का उपयोग करके बनाई गई थी। महिला का चेहरा अंडाकार है, जो एक पल्लू से ढका हुआ है। उनकी आखें बड़ी बनाई गई हैं, जिनमें उदासी साफ झलकती है। यह टैगोर की मानव व्यक्तित्व में गहरी रुचि को दर्शाती है।

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#3

हेड स्टडी

टैगोर को ज्यामितीय आकृतियों में खासा दिलचस्पी हुआ करती था, जो उनकी कई पेंटिंग में नजर आती हैं। ऐसी ही एक खास पेंटिंग थी 'हेड स्टडी', जिसे उन्होंने 1929 में बनाया था। इस पेंटिंग में उन्होंने त्रिकोण जैसे आकारों का उपयोग किया है और यह काली स्याही से बनाई गई है। इसमें एक मानव का सिर नजर आता है, जिसके अंदर वर्गाकार और आयताकार आकृतियां बनी हुई हैं। साथ ही इसमें जीने भी नजर आते हैं।

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#4

7 फिगर्स

टैगोर की 7 फिगर्स पेंटिंग करीब 1929-1930 के आसपास बनाई गई थी। इसमें 7 आकृतियों का एक समूह दिखाई देता है, जो नाटकीय रूप में बनाई गई हैं। इनके जरिए टैगोर ने गहरी मानवीय भावनाओं को दर्शाने का प्रयास किया है। इस पेंटिंग को काली या गहरे रंग की स्याही से कागज पर बनाया गया था। इस पेंटिंग को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला गैलरी (NGMA) में प्रस्तुत किया गया है।

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