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#MantoDeathAnniversary: सआदत हसन मंटो की पुण्यतिथि पर जानें उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

#MantoDeathAnniversary: सआदत हसन मंटो की पुण्यतिथि पर जानें उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

Jan 18, 2019
12:43 pm

क्या है खबर?

सआदत हसन मंटो एक ऐसे कहानीकार थे, जिनकी ज़्यादातर कहानियाँ समाज को आईना दिखाती हैं। इन्हें कई बार अपनी कहानियों की वजह से जेल जाना पड़ा और जुर्माना भी भरना पड़ा था। इतना सब होने के बाद भी उन्होंने कभी अपनी लेखनी से समझौता नहीं किया। आज मंटो की पुण्यतिथि है। मंटो की पुण्यतिथि के मौक़े पर आज हम आपको उनके बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

साहित्यकार

समय से पहले के अफ़साने लिखने के लिए जाने जाते हैं मंटो

मंटो का जन्म 11 मई, 1912 को पंजाब के समराला में हुआ था, जबकि इनका निधन 18 जनवरी, 1955 में हुआ था। मंटो का नाम उर्दू के उन साहित्यकारों में शामिल है, जो अपने समय से पहले के अफ़साने लिखने के लिए जाने जाते हैं। इनके अफ़सानों को आज दुनिया समझने की कोशिश कर रही है। मंटो कहते थे, "अगर मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है।

सर्वश्रेष्ठ लघु कथा लेखक

पाकिस्तान से ज़्यादा भारत में हो रहे हैं लोकप्रिय

मंटो ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी। इन्हें दक्षिण एशिया में सर्वश्रेष्ठ लघु-कथा लेखक के रूप में माना जाता है। शुरुआत में मंटो फ़्रेंच और रूसी लेखकों के लिए अनुवाद करते थे। मंटो का पहला अनुवाद विक्टर ह्यूगो की 'द लास्ट डे ऑफ़ ए कंडेम्ड मैन' था। मंटो को मरणोपरांत 14 अगस्त, 2012 में पाकिस्तानी पुरस्कार 'निशान-ए-इम्तियाज़' से नवाज़ा गया था। आज सोशल मीडिया के युग में मंटो पाकिस्तान से ज़्यादा भारत में लोकप्रिय हो रहे हैं।

जानकारी

मंटो के जीवन पर बन चुकी है बॉलीवुड फिल्म

आपकी जानकारी के लिए बता दें साल 2018 में सआदत हसन मंटो के जीवन पर नंदिता दास ने 'मंटो' नाम से एक फिल्म भी बनाई थी। इसमें मंटो का किरदार बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी ने निभाया था।

कहानी

मंटो की पाँच कहानियों पर हुए थे मुक़दमे

अगर कहानियों की बात करें तो मंटो की प्रसिद्ध कहानियों में 'टोबा टेक सिंह', 'ठंडा गोश्त', 'बू', 'धुआँ', 'ऊपर नीचे और दरमियान', 'काली सलवार' और 'खोल दो' हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि मंटो की पाँच कहानियों पर मुक़दमे भी हुए थे। इसमें 'धुआँ', 'बू', 'ठंडा गोश्त', 'काली सलवार' एवं 'ऊपर नीचे और दरमियान' शामिल है। इनमें से चार मुक़दमे अंग्रेज़ी हुकूमत में हुए थे, जबकि एक मुक़दमा भारत-पाकिस्तान बँटवारे के बाद पाकिस्तान में हुआ था।

बयान

शराब की तरह लग गई थी लिखने की लत

मंटो कहते थे, "मुझे शराब की तरह लिखने की लत लग गई है। अगर मैं कहानी न लिखूँ तो ऐसा लगता है, जैसे मैंने कपड़े नहीं पहने, गुसल नहीं किया या शराब नहीं पी हैं।" उन्होंने कहा था, "दरअसल मैं कहानी नहीं लिखता हूँ, बल्कि कहानी मुझे लिखती है। मैं बहुत कम पढ़ा लिखा आदमी हूँ, वैसे तो मैंने दर्जन भर किताबें लिखी हैं, जिस पर आए दिन मुक़दमे चलते रहते हैं।"

रोचक बातें

एक बोतल शराब के लालच में लिख देते थे कहानी

मंटो को शराब की इतनी बुरी लत लग गई थी कि इसका फ़ायदा संपादक भी उठाते थे। कुछ संपादकों ने इन्हें एक बोतल शराब का लालच देकर कहानियाँ भी लिखवाई थी। मंटो के इस नेचर की वजह से लोग उन्हें 'टॉमी' के नाम से बुलाने लगे थे। मंटो मैट्रिक की परीक्षा में उर्दू में दो बार फ़ेल हुए थे। मंटो बैठे-बैठे ही पूरी कहानी लिख देते थे और अपनी हर कहानी शुरू करने से पहले 786 ज़रूर लिखते थे।