IT और मीडिया क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को होता है सबसे अधिक तनाव
क्या है खबर?
तनाव तो सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों को होता है, लेकिन इसका स्तर काम की कठिनाई पर निर्भर करता है।
इसी बीच केरल का नया अध्ययन दावा करता है कि IT और मीडिया क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी सबसे अधिक तनाव महसूस करते हैं।
इसे केरल युवा आयोग के अध्यक्ष एम. शजर ने गुरुवार को राज्य के मत्स्य पालन, संस्कृति और युवा मामलों के मंत्री साजी चेरियन की उपस्थिति में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के सामने पेश किया था।
अध्ययन
इस तरह किया गया था यह अध्ययन
इस अध्ययन के लिए 18 से 40 साल की आयु वाले कर्मचारियों का डाटा इकट्ठा गया था।
इस सर्वेक्षण में IT, गिग इकॉनमी, मीडिया, खुदरा/औद्योगिक और बैंकिंग/बीमा क्षेत्रों के 1,548 कर्मचारियों ने भाग लिया था।
सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट को आधार बनाते हुए नतीजों का विश्लेषण किया गया। इसके बाद जो नतीजे सामने आए, वो चौका देने वाले थे।
जाहिर तौर पर देखा गया कि IT और मीडिया क्षेत्र सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण है।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
अध्ययन के मुताबिक, केरल में IT क्षेत्र के 84.3 प्रतिशत युवा कर्मचारियों को और मीडिया क्षेत्र के 83.5 प्रतिशत युवा कर्मचारियों को उच्च स्तर के तनाव का अनुभव करना पड़ता है।
इनके अलावा, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र के लगभग 80.6 प्रतिशत कर्मचारियों और गिग इकॉनमी के 75.5 प्रतिशत कर्मचारियों ने भी काम के तनाव का अनुभव किया।
अन्य क्षेत्रों की तुलना में खुदरा और औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों में काम के तनाव का स्तर कम था।
उम्र
महिला कर्मचारियों का काम का तनाव होता है अधिक
शोध के जरिए यह भी सामने आया कि 30 से 39 वर्ष की आयु वाले कर्मचारियों के तनाव का स्तर औरों के मुकाबले सबसे अधिक होता है।
इतना ही नहीं, पुरुषों (73.7 प्रतिशत) की तुलना में महिला कर्मचारियों (74.7 प्रतिशत) में काम का तनाव थोड़ा अधिक पाया गया।
68.25 प्रतिशत कर्मचारियों ने यह भी कहा कि काम-काज के कारण उनकी निजी जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है और वे दोनों के बीच संतुलन नहीं बना पाते हैं।
समाधान
काम के तनाव को कम करने के लिए दिए गए ये सुझाव
इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि हर ऑफिस में मनोरंजन के लिए एक जगह बनाई जानी चाहिए, जहां जा कर कर्मचारी तनाव और चिंता को भूल सकें और सुकून महसूस कर सकें।
अध्ययन में कहा गया कि बड़ी कंपनियों को कर्मचारियों की देखरेख के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य अधिकारी भी नियुक्त करना चाहिए।
इसके अलावा, सरकार को मानसिक स्वास्थ्य बीमा अनिवार्य करना चाहिए, जिसमें चिकित्सा, परामर्श और मनोरोग उपचार शामिल हों।