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गंभीर अस्थमा में उपचार के बावजूद बनी रह सकती हैं सूजन वाली कोशिकाएं, अध्ययन में खुलासा

गंभीर अस्थमा में उपचार के बावजूद बनी रह सकती हैं सूजन वाली कोशिकाएं, अध्ययन में खुलासा

लेखन सयाली
Jun 27, 2025
12:23 pm

क्या है खबर?

अस्थमा फेफड़ों की बीमारी है, जिसके कारण वायुमार्ग पतले हो जाते हैं, सूज जाते हैं और उनमें ज्यादा बलगम बनने लगता है। इसकी वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है और खांसी व सीने में जकड़न जैसे लक्षण नजर आते हैं। जैविक चिकित्सा का उपयोग करके अस्थमा के उपचार में मदद मिल सकती है। हालांकि, एक नया अध्ययन बताता है कि उपचार के बावजूद भी अस्थमा रोगियों में सूजन वाली कोशिकाएं बनी रह सकती हैं।

अध्ययन

बायोलॉजिक्स का प्रभाव जानने के लिए हुआ यह अध्ययन

अस्थमा के लिए जैविक चिकित्सा में बायोलॉजिक्स नामक दवाओं का उपयोग होता है, जो जीवित कोशिकाओं से प्राप्त होती हैं। ये उन हिस्सों को लक्षित करती हैं, जो फेफड़ों में सूजन का कारण बनते हैं। यह अध्ययन कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है और इसे एलर्जी नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसकी मदद से यह पता चला कि बायोलॉजिक्स यानि जैविक दवाओं वाला उपचार प्राप्त करने वाले मरीजों की प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है।

प्रक्रिया

40 मरीजों का विश्लेषण कर पूरा हुआ अध्ययन

यह अध्ययन BIOCROSS अध्ययन में पाए गए अस्थमा के रोगियों के आंकड़ों पर आधारित है। इसके लिए उपचार से पहले और उपचार के दौरान 40 मरीजों के खून के नमूनों का विश्लेषण किया गया था। शोधकर्ताओं ने प्रतिरक्षा कोशिकाओं के गुणों को निर्धारित करने के लिए 'फ्लो साइटोमेट्री' और 'एकल-कोशिका अनुक्रमण' जैसी विधियों का सहारा लिया। सामने आया कि उपचार के दौरान अस्थमा की सूजन का कारण बनने वाली कुछ प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं कम होने के बजाय बढ़ गईं।

नतीजे

क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?

इस अध्ययन के नतीजों ने शोधकर्ताओं को चौका दिया, क्योंकि इससे पता चला कि बायोलॉजिक्स समस्या की जड़ को खत्म नहीं कर पाती हैं। अध्ययन के मुताबिक, बायोलॉजिक्स के कारण रक्त में सूजन वाली कोशिकाओं का स्तर बढ़ गया था। इससे पता चलता है कि जब उपचार कम कर दिया जाता है या बंद कर दिया जाता है तो वायुमार्ग की सूजन वापस क्यों आ जाती है। इस समस्या से बचने के लिए निरंतर इलाज जारी रखना पड़ता है।

अगला कदम

शोधकर्ता और जांच करके प्रदान करेंगे अधिक जानकारी

मेपोलीजुमैब और डुपिलुमैब जैसी बायोलॉजिक्स के प्रभावों के बारे में अभी भी बहुत कम जानकारी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये नई हैं और अस्थमा रोगियों को 10 साल से भी कम समय से दी जा रही हैं। अध्ययन में आगे लंबे समय से अस्थमा का उपचार करा रहे रोगियों के नमूनों का विश्लेषण किया जाएगा। साथ ही फेफड़ों के ऊतकों की भी जांच की जाएगी, ताकि यह देखा जा सके कि वायुमार्ग में प्रतिरक्षा कोशिकाएं किस प्रकार प्रभावित होती हैं।