उत्तराखंड में खूबसूरत वादियों से घिरा है भारत का पहला गांव 'माणा', जानिए रोचक तथ्य
उत्तराखंड अपनी खूबसूरत वादियों के लिए पहचाना जाता है। यहां घूमने के लिए एक से बढ़कर एक जगह मौजूद हैं, लेकिन राज्य के चमोली जिले में मौजूद 'माणा गांव' बहुत ही खास और अनोखा है। इस गांव को 'भारत का पहला गांव' भी माना जाता है। इसके आस-पास देखने लायक कई जगह मौजूद हैं, इसलिए यहां भारतीयों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों की भीड़ भी लगी रहती है। आइये आज माणा गांव के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं।
भारत का आखिरी गांव कैसे जाना जाने लगा पहला गांव?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गांव को पहले भारत के आखिरी गांव के नाम से जाना जाता था, लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस साल यहां पर भारत का प्रथम गांव वाला बोर्ड लगवा दिया है। दरअसल, अक्टूबर, 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माणा गांव के दौरे पर गए थे। उस वक्त उन्होंने कहा था कि इसे देश को पहला गांव कहा जाना चाहिए और भारत की सीमा पर स्थित हर गांव को यही कहना चाहिए।
माणा गांव का इतिहास
बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर दूर और समुद्र तल से 3,219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गांव का इतिहास काफी दिलचस्प है। माना जाता है कि गांव का नाम मणिभद्र देव के नाम पर पड़ा था और इसे चारों धामों में भी सबसे पवित्र माना जाता है। घूमने के लिए यहां भीम पुल है, जिसके लिए कहा जाता है कि पांडवों में सबसे ताकतवर भाई भीम ने चट्टान फेंककर यह पुल बनाया था, इसलिए इसे भीम पुल कहा जाता है।
गांव के आस-पास घूमने लायक कई जगहें हैं मौजूद
हिमालय की पहाड़ियों से घिरे इस गांव के आस-पास देखने लायक कई खूबसूरत जगह मौजूद हैं, जो आपकी यात्रा को यादगार बना सकती हैं। आप यहां पर कई प्राचीन मंदिरों और गुफाओं की यात्रा कर सकते हैं। यहां पर वेद व्यास की गुफा, भीम पुल, बद्रीनाथ मंदिर, नीलकंठ चोटी और तप्त कुंड जैसी घूमने के लिए कई जगहें मौजूद हैं। इसके अलावा यहां सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम भी देखने को मिलता है।
भारत-म्यांमार की सीमाओं के बीच स्थित है यह अनोखा गांव
नागालैंड के मोन जिले में स्थित लोंगवा गांव भारत और म्यांमार की सीमा पर बसा हुआ है। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा में आधा भारत और आधा म्यांमार के हिस्से में आता है, इसलिए यहां के लोगों के घर और खेत दोनों देशों में हैं। यहां के मुखिया का घर तो दोनों देशों के बीच ऐसे बंटा है कि खाना तो म्यांमार में बनता है, लेकिन वो इसे खाते भारत में बैठकर हैं।