कहीं आपने अप्राकृतिक तरीके से पकाया हुआ पपीता तो नहीं खरीद लिया? ऐसे लगाएं पता
क्या है खबर?
पपीते को आमतौर पर गर्मियों का फल माना जाता है। इसे पचाने में आसान होने के कारण कई लोग रोजाना इसका सेवन करते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि पपीते को जल्दी पकाने के लिए कई लोग अप्राकृतिक तरीकों का सहारा लेते हैं। इससे न सिर्फ इसके पोषक तत्व कम हो जाते हैं, बल्कि सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। आइए अप्राकृतिक तरीके से पकाए पपीते से जुड़े संकेत जानते हैं।
#1
छिलके का रंग हरा-पीला होना
अप्राकृतिक तरीके से पकाए गए पपीते का छिलका हरा-पीला होता है क्योंकि इसमें कुछ रासायनिक गैस का इस्तेमाल किया गया है, जो फलों को जल्दी पकाने का काम करती है। बता दें कि ये गैस फलों के पकने को तेज करती है, लेकिन इससे उनके पोषक तत्व कम हो जाते हैं और उनके स्वाद में भी बदलाव आ जाता है। वहीं प्राकृतिक तरीके से पके पपीते का छिलका हमेशा पीला-नारंगी होना चाहिए।
#2
छिलके पर काले धब्बे होना
अगर आप किसी पपीते के छिलके पर काले धब्बे देख रहे हैं तो समझ जाइए कि उसे अप्राकृतिक तरीके से पकाया गया है। इसका कारण है कि ऐसे पपीते में काले धब्बे होना आम बात है। इसलिए जब भी आप किसी पपीते में काले धब्बे देखें तो उसे न खरीदें और अगर किसी दुकान पर ऐसा पपीता दिखे तो उसे खरीदने से पहले एक बार दुकान के मालिक से जरूर पूछें।
#3
पपीता का आकार और वजन भी रखता है मायने
अगर आप किसी पपीते का आकार और वजन ज्यादा देखे तो समझ जाइए कि उसे भी अप्राकृतिक तरीके से पकाया गया है। ऐसे पपीते का आकार और वजन ज्यादा होता है। वहीं अगर आप एक सामान्य पपीते का आकार और वजन देखें तो वह हल्का होता है। ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि आप हमेशा प्राकृतिक रूप से पका हुआ फल ही खरीदें।
#4
पपीते की खुशबू से भी लगाया जा सकता है पता
अगर किसी पपीते से तेज मीठी खुशबू आ रही है तो समझ जाइए कि उसे अप्राकृतिक तरीके से पकाया गया है। रासायनिक केमिकल फल को पकाने के दौरान उसमें तेज खुशबू पैदा करता है, जो कि प्राकृतिक नहीं है। इसलिए जब भी आप किसी पपीते से तेज खुशबू पाएं तो उसे न खरीदें और अगर किसी दुकान पर ऐसा पपीता दिखे तो उसे खरीदने से पहले एक बार दुकान के मालिक से जरूर पूछें।