वृक्षासन: जानिए इस योग का अभ्यास और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
वृक्षासन को पेड़ की मुद्रा भी कहा जाता है। यह योग का एक अहम आसन है, जो शरीर के संतुलन और नियंत्रण को बढ़ाने में मदद करता है।
यह आसन न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी आपको मजबूत बनाता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे वृक्षासन को सही तरीके से किया जाए ताकि आप अपने शरीर के संतुलन और नियंत्रण को बेहतर बना सकें।
#1
वृक्षासन करने का तरीका
वृक्षासन करते समय सही मुद्रा अपनाना बहुत जरूरी होता है।
सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपने पैरों को एक साथ रखें।
अब धीरे-धीरे अपने दाहिने पैर को उठाएं और उसे बाईं जांघ पर रखें। ध्यान रहे कि आपका दाहिना घुटना बाहर की ओर हो।
इसके बाद अपने हाथों को नमस्कार की मुद्रा में जोड़ें और उन्हें छाती के सामने रखें।
इस स्थिति में कुछ देर तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।
#2
सांसों पर ध्यान दें
वृक्षासन करते समय अपनी सांसों पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।
गहरी सांस लें और छोड़ें, इससे आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और मन शांत रहता है।
जब आप सांस लेते हैं तो अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने का प्रयास करें, जिससे आपकी मुद्रा स्थिर रहती है।
नियमित अभ्यास से आपकी श्वास प्रणाली बेहतर होती है, जिससे आप लंबे समय तक इस आसन में रह सकते हैं।
#3
मानसिक एकाग्रता बढ़ाएं
वृक्षासन मानसिक एकाग्रता बढ़ाने का बेहतरीन तरीका है।
जब आप इस आसन में होते हैं तो आपका पूरा ध्यान आपके शरीर के संतुलन पर होता है, जिससे आपकी मानसिक शक्ति बढ़ती है।
इसके लिए किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें, जैसे दीवार या जमीन पर कोई निशान, इससे आपका मन भटकता नहीं और आप अधिक समय तक इस स्थिति में रह सकते हैं।
#4
नियमित अभ्यास करें
किसी भी योग आसन का लाभ तभी मिलता है जब उसे नियमित रूप से किया जाए। वृक्षासन इससे भी अछूता नहीं है।
इसे रोजाना करने से शरीर का लचीलापन बढ़ता है और मांसपेशियों की ताकत में सुधार होता है।
शुरुआत में इसे 10-15 सेकंड तक करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाएं ताकि शरीर इसकी आदत डाल सके।
नियमित अभ्यास से न केवल शारीरिक संतुलन बेहतर होता है, बल्कि मानसिक एकाग्रता भी बढ़ती है।
#5
धैर्य बनाए रखें
योग अभ्यास धैर्य मांगता है, खासकर तब जब बात वृक्षासन जैसी मुद्राओं की हो जो संतुलन पर निर्भर करती हैं।
शुरुआती दिनों मे असंतुलित होना स्वाभाविक होता है, लेकिन निरंतर प्रयास और धैर्य रखने से सफलता मिल सकती है।
खुद को प्रेरित रखें, छोटे लक्ष्यों द्वारा प्रगति मापे, सकारात्मक सोच बनाए रखे। याद रखें कि हर दिन थोड़ा बेहतर होना ही असली जीत होती है।