रिवर्स हाइपरएक्सटेंशन: जानिए इस एक्सरसाइज का अभ्यास और इससे जुड़ी अन्य जरूरी बातें
क्या है खबर?
रिवर्स हाइपरएक्सटेंशन एक्सरसाइज पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने और रीढ़ की सेहत सुधारने में मदद कर सकती है।
यह खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं या जिनकी पीठ में दर्द रहता है। इसका मुख्य उद्देश्य रीढ़ की हड्डी के आसपास की मांसपेशियों को लचीला बनाना है।
इसे नियमित रूप से करने से न सिर्फ पीठ दर्द में राहत मिलती है, बल्कि शरीर का संतुलन भी बेहतर होता है।
#1
सही तरीके से करें रिवर्स हाइपरएक्सटेंशन
रिवर्स हाइपरएक्सटेंशन करने के लिए सबसे पहले एक बेंच पर पेट के बल लेट जाएं, ताकि आपके पैर हवा में हों।
अब धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाएं, जब तक कि वे आपकी पीठ के समानांतर न हो जाएं।
कुछ सेकंड इसी स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाएं। इस प्रक्रिया को 10-15 बार दोहराएं।
ध्यान रखें कि आपके पैर उठाते समय आपकी कमर सीधी रहे और कोई झटका न लगे।
#2
रिवर्स हाइपरएक्सटेंशन के फायदे
रिवर्स हाइपरएक्सटेंशन कई तरह से फायदेमंद है। यह एक्सरसाइज पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करती है, जिससे कमर दर्द में राहत मिलती है।
इसके अलावा यह शरीर का संतुलन सुधारता है और कूल्हों तथा जांघों की मांसपेशियों को भी टोन करती है।
नियमित रूप से इसे करने से शरीर का लचीलापन बढ़ता है और चोट लगने का खतरा कम होता है।
#3
एक्सरसाइज करते समय बरतें ये सावधानियां
रिवर्स हाइपरएक्सटेंशन करते समय कुछ सावधानियां बरतना जरूरी होता हैं ताकि किसी प्रकार की चोट या परेशानी न हो सके।
सबसे पहले सुनिश्चित करें कि आप सही मुद्रा में हों। आपकी कमर सीधी रहनी चाहिए और कोई झटका नहीं लगना चाहिए जब आप अपने पैरों को ऊपर उठाते हैं।
अगर आपको पहले ही किसी प्रकार का पीठ दर्द या चोट लगी हो तो इस एक्सरसाइज को शुरू करने से पहले डॉक्टर या फिटनेस विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
#4
अन्य विकल्प आजमाएं
अगर आप अपनी एक्सरसाइज रूटीन में विविधता चाहते हैं तो रिवर्स हाइपरएक्सटेंशन के साथ-साथ अन्य एक्सरसाइज भी कर सकते हैं, जैसे कि प्लैंक और ब्रिजिंग एक्सरसाइज, जो आपकी पीठ और कूल्हों की मांसपेशियों पर काम करती हैं।
ये सभी एक्सरसाइज मिलकर आपके शरीर का संतुलन सुधारने और मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने में मदद करती हैं।
इससे आपको बेहतर परिणाम मिलते हैं और शरीर का लचीलापन भी बढ़ता है, जिससे चोट लगने का खतरा कम होता है।