गैस के कारण सीने में दर्द या दिल का दौरा? जानिए इन दोनों में अंतर
क्या है खबर?
कार्डियोलॉजिस्ट लोगों को इस बात के लिए जागरूक करते रहते हैं कि सीने में दर्द को हल्के में न ले क्योंकि यह दिल के दौरे का भी लक्षण हो सकता है।
दरअसल, दिल के दौरे के अलावा गैस के कारण भी सीने में दर्द होता है, जिससे दबाव या जकड़न महसूस होती है। हालांकि, दिल का दौरा होने पर शरीर कई अन्य संकेत भी देता है।
आइए इन दोनों समस्याओं के लक्षणों के बीच में अंतर जानते हैं।
कारण
सीने में गैस का दर्द या दिल का दौरा कब होता है?
सीने में गैस का दर्द पाचन समस्याओं या अधिक मात्रा में निगली गई हवा के कारण हो सकता है। इस स्थिति को डॉक्टर एरोफैगिया कहते हैं।
दूसरी ओर, दिला का दौरान एक प्रकार की प्लंबिंग समस्या है। जब किसी कारणवश हृदय की किसी मुख्य धमनी में ब्लॉकेज हो जाता है तो इससे हृदय में खून का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, जिस कारण दिल का दौरा पड़ सकता है।
लक्षण
सीने में गैस के दर्द और दिल के दौरे के लक्षण
अगर आपको सीने में दर्द के अलावा डकारे आएं और पेट फूला हुआ महसूस हो तो समझ जाइए कि गैस के कारण ही दर्द हो रहा है।
हालांकि, अगर सीने में दर्द, बैचेनी, सांस लेने में तकलीफ, मतली, चक्कर आना और शरीर के ऊपरी हिस्से (जबड़े, गर्दन, पीठ और हाथ) में तेज दर्द हो तो ये दिल का दौरा पड़ने के संकेत हैं।
अगर इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करें तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
इलाज
गैस के दर्द का इलाज
सीने में गैस का दर्द का इलाज आप घर पर खुद कर सकते हैं।
लाभ के लिए गर्म तरल पदार्थों का सेवन करें, कच्चा अदरक चबाएं और दुग्ध, ग्लूटेन और कार्बोनेटेड पेय का सेवन करने से बचें।
अगर दर्द काफी तेज है तो डॉक्टर के पास जाएं क्योंकि वह आपकी उम्र और शारीरिक स्थिति के हिसाब से ओवर-द-काउंटर दवा दे सकता है।
यहां जानिए गैस की समस्या से राहत दिलाने वाली चाय।
दिल का दौरा
आपातकालीन स्थिति में जान बचाने में बहुत मदद कर सकता है CPR
कार्डियोलॉजिस्ट के मुताबिक, कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (CPR) एक तरह का प्राथमिक उपचार है, जो धकड़न के रुक जाने, बेहोश होने या फिर सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति को दिया जाता है।
बता दें कि CPR दो तरह का होता है। पहले प्रकार में पीड़ित की छाती को अपनी हथेलियों से लगातार तेजी से दबाना होता है। दूसरे में आपातकालीन स्थिति वाले व्यक्ति के मुंह में अपने मुंह के जरिए सांस दी जाती है।
टेस्ट
हृदय की स्थिति का पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट करवाते रहने चाहिए?
हर किसी को 28 साल की उम्र के बाद से हृदय से जुड़े टेस्ट समय-समय पर करवाते रहने चाहिए।
जैसे कि ECG यानी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
इसी तरह हृदय की स्थिति का पता लगाने के लिए ECO यानी इकोकार्डियोग्राम टेस्ट या CTMT यानी कार्डियक ट्रेडमिल टेस्ट भी करवाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त असंतुलित कोलेस्ट्रॉल के लिए ब्लड टेस्ट भी करवाया जा सकता है।
यहां जानिए गर्मी और हृदय के बीच संबंध।