गंगा खुद को साफ रखने में है सक्षम, जानिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह कैसे है संभव
क्या है खबर?
गंगा नदी हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और देवी तुल्य मानी जाती है। कहा जाता है कि यह पावन नदी खुद को साफ रखने में सक्षम होती है।
कुछ लोग समझते हैं ऐसा आध्यात्मिक कारणों से होता है तो कुछ इस बात को खारिज करने का भी प्रयास करते हैं।
हालांकि, गंगा नदी की खुद को स्वच्छ करने वाली क्षमता के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है।
आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।
शोध
गंगा कैसे खुद को करती है स्वच्छ?
गंगा जल की गुणवत्ता पर बढ़ती चिंता के बीच एक नया अध्ययन किया गया है। इसमें सामने आया है कि गंगा नदी में एक खास तरह का बैक्टीरिया मौजूद होता है, जिसका नाम बैक्टीरियाफेगस होता है।
यह शोध डॉ अजय सोनकर द्वारा किया गया था, जिन्होनें इस बैक्टीरिया को गंगा का सुरक्षा गार्ड बताया है।
ये पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और अन्य तत्वों को मारने में सक्षम होता है, जिससे नदी स्वच्छ बनी रहती है।
बैक्टीरिया
बैक्टीरियाफेगस कैसे करता है गंगा को साफ?
हर नदी की तरह गंगा में भी कई तरह के सूक्ष्मजीव रहते हैं, जो पानी की गंदगी को बढ़ा देते हैं। इसी बीच महाकुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के कारण भी यह नदी दूषित हुई है।
हालांकि, बैक्टीरियाफेगस लाभकारी सूक्ष्मजीवों को नुकसान पहुंचाए बिना केवल हानिकारक बैक्टीरिया पर हमला करता है।
यह उन बैक्टीरिया से भी लड़ सकता है, जो एंटीबायोटिक के जरिए भी खत्म नहीं होते हैं। फिलहाल, इसके औषधीय गुणों को लेकर परिक्षण किए जा रहे हैं।
इतिहास
पहली बार कब हुआ था गंगा नदी के एंटी-बैक्टीरियल गुणों पर अध्ययन?
गंगा के एंटी-बैक्टीरियल गुणों के रहस्य पर चर्चा 1891 में शुरू हुई थी। तब ब्रिटिश जीवाणुविज्ञानी अर्नेस्ट हैंकिन ने हैजा के प्रकोप का अध्ययन किया था।
शवों और गंदगी की मौजूदगी के बावजूद, हैजा उतनी तेजी से नहीं फैला, जितनी उम्मीद थी। उन्होंने अनुमान लगाया कि पानी में एक अज्ञात एजेंट मौजूद था, जो बैक्टीरिया को संक्रमण फैलाने से पहले ही मार रहा था।
1917 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक फेलिक्स डी'हेरेल ने इस एजेंट को बैक्टीरियाफेगस के रूप में पहचाना था।
प्रदूषण
प्रदूषण के कारण बढ़ सकता है खतरा
वैसे तो गंगा खुद को स्वयं साफ रख सकती है, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह अधिक दूषित होती जा रही है। इसमें मौजूद औद्योगिक वेस्ट, अनुपचारित गंदगी और रासायनिक तत्वों के कारण यह नदी बुरी तरह प्रदूषित हो रही है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि बैक्टीरियाफेगस प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हालांकि, बड़े पैमाने पर होने वाले प्रदूषण के खिलाफ यह उतना प्रभावशील नहीं होगा।
इसके लिए हमें गंगा को साफ रखने का प्रयास करना चाहिए।