चलने का तरीका बदलने से सालों तक टल सकती है घुटनों की सर्जरी, अध्ययन में खुलासा
क्या है खबर?
बढ़ती उम्र के साथ-साथ हड्डियां कमजोर हो जाती है और उनमें दर्द होता है। खास तौर से घुटनों के दर्द से तो ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं। इससे निपटने के लिए या तो दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ता है या सर्जरी करवाने की नौबत आ जाती है। हालांकि, एक अध्ययन से घुटनों के दर्द से राहत पाने का सरल तरीका पता चला है। इसके मुताबिक, चलने के तरीके में बदलाव करने से घुटनों की सर्जरी सालों तक टल सकती है।
अध्ययन
3 विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने किया यह अध्ययन
यह अध्ययन यूटा विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया है। इसे 'द लांसेट रहेउमाटोलॉयड' नामक पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया है। इससे सामने आया है कि चलने के तरीके में एक साधारण बदलाव करने से ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द को दवा के समान प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है। अपने पैर को थोड़ा मोड़ने से आपको दर्द से राहत मिल सकती है और सर्जरी से भी बचा जा सकता है।
प्रक्रिया
ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित मरीज बने अध्ययन का हिस्सा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और अन्य संघीय एजेंसियों के सहयोग से शोधकर्ताओं ने अध्ययन को पूरा किया। उन्होंने घुटने के मध्य भाग में हल्के से मध्यम ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित रोगियों का पता लगाया। हर एक प्रतिभागी के चलने के नए तरीके को चुनने के लिए एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण का उपयोग किया गया गया। इस बात का ध्यान रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि वह अपने पैर को कितना मोड़ पाते हैं।
जांच
किस तरह की गई थी जांच?
पहली 2 मुलाकातों में प्रतिभागियों का MRI किया गया और उनसे दबाव-संवेदनशील ट्रेडमिल पर चलने का अभ्यास करवाया गया। इस दौरान मोशन कैप्चर करने वाले कैमरों ने उनकी चाल को रिकॉर्ड किया। इससे शोधकर्ताओं को यह पता लगाने में मदद मिली कि मरीज के पैर के अंगूठे को अंदर की ओर या बाहर की ओर मोड़ने से भार कम होगा। इस विश्लेषण ने उन प्रतिभागियों का भी पता लगाया, जिन्हें चाल बदलने से कोई लाभ नहीं हो रहा था।
प्रशिक्षण
6 हफ्तों तक प्रतिभागियों को दिया गया प्रशिक्षण
अध्ययन में 68 प्रतिभागी शामिल हुए थे, जिन्हें बताया गया कि पैरों को किस एंगल पर रखने से घुटनों पर दबाव कम होगा। 6 हफ्तों तक उन्हें लैब में ही प्रशिक्षण दिया गया और उनके पैरों में एक वाइब्रेशन वाली मशीन लगाई गई। 6 हफ्ते की अवधि के बाद प्रतिभागियों को रोजाना कम से कम 20 मिनट तक अपनी नई चाल का अभ्यास करने के लिए कहा गया। एक साल बाद प्रतिभागियों ने घुटने के दर्द के बारे में बताया।
परिणाम
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे
अध्ययन से सामने आया कि पैरों को सटीक एंगल पर रखकर चलने से मरीजों को फायदा हुआ। इससे उनके घुटने पर दबाव कम पड़ रहा था और उन्हें दर्द महसूस नहीं हो रहा था। साथ ही इस तरह चलने से घुटनों की सर्जरी सालों के लिए टल गई थी। प्रतिभागियों ने बताया कि अपनी चाल बदलने के बाद उन्हें दवाइयां नहीं लेनी पड़ रही थीं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के जरिए ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में मदद मिलेगी।