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दक्षिण भारत में प्रचिलित है कर्नाटक संगीत, जानिए इसके बारे में अहम बातें
कर्नाटक संगीत के बारे में सब कुछ

दक्षिण भारत में प्रचिलित है कर्नाटक संगीत, जानिए इसके बारे में अहम बातें

लेखन सयाली
Dec 19, 2025
04:46 pm

क्या है खबर?

भारत में 2 प्रकार की शास्त्रीय संगीत शैलियां हैं, जिनमें से एक कर्नाटिक संगीत भी है। यह दक्षिण भारतीय शैली है, जो मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में प्रचलित है। यह संगीत की एक बहुत सुंदर और पुरानी परंपरा है। कर्नाटक संगीत में राग और ताल का महत्वपूर्ण स्थान होता है और इसे भक्ति संगीत के रूप में भी जाना जाता है। इस लेख में हम आपको कर्नाटक संगीत से जुड़ी कुछ अहम बातें बताएंगे।

#1

कर्नाटक संगीत की संरचना

कर्नाटक संगीत मुख्य रूप से राग और ताल पर आधारित होता है। राग वह स्वर है, जो किसी विशेष मूड या भावनाओं को व्यक्त करता है। इसमें कई प्रकार के स्वर होते हैं, जिन्हें 'स्वर संधार' कहा जाता है। ताल वह माप है, जो संगीत की लय को निर्धारित करता है। इसमें कई प्रकार की तालें शामिल होती हैं, जैसे ताला 'त्रिपुटा', 'अदिता', 'झला' आदि। इन दोनों तत्वों का मेल कर्नाटक संगीत की पहचान बनाता है।

#2

कर्नाटक संगीत के प्रमुख वाद्य यंत्र

कर्नाटक संगीत में कई तरह के संगीत वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है, जिनमें वीणा, मृदंगम, तबला और बांसुरी आदि शामिल हैं। वीणा एक प्रमुख वाद्ययंत्र है, जिसे रागों को प्रस्तुत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मृदंगम और तबला ताल को निर्धारित करने में मदद करते हैं। बांसुरी जैसे वाद्य यंत्र भी इस संगीत शैली का हिस्सा हैं, जो इसे और समृद्ध बनाते हैं। इन वाद्य यंत्रों का उपयोग कर्नाटक संगीत को और मधुर बनाता है।

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#3

कर्नाटक संगीत की गायकी शैलियां

कर्नाटक संगीत में मुख्य रूप से 3 तरह की गायकी शैलियां होती हैं: कर्नाटक, देसिया, और हरिजन। कर्नाटक गायकी शैली पारंपरिक होती है, जिसमें रागों का गहरा अध्ययन किया जाता है। देसिया शैली ग्रामीण इलाकों से जुड़ी हुई है, जिसमें लोक गीतों का मिश्रण होता है। हरिजन शैली हरिजनों द्वारा गाए जाने वाले भक्ति गीतों से जुड़ी होती है, जिसमें धार्मिक भावनाएं प्रमुख होती हैं। इन शैलियों का मेल कर्नाटक संगीत को विविधता प्रदान करता है।

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#4

कर्नाटक संगीत के प्रसिद्ध गायक और संगीतकार

कर्नाटक संगीत में कई प्रसिद्ध गायक-संगीतकार हुए हैं, जिन्होंने इस कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। एमएस सुबुलक्ष्मी, लता मंगेशकर और किशोरी अमोनकर जैसे नामी गायिकाओं ने अपनी आवाज से इस कला को अमर बना दिया है। इसके अलावा एमएस गोपालकृष्णन, जयरामन और आरके सुब्रह्मण्य स्वामी जैसे महान संगीतकारों ने भी इस कला में अहम योगदान दिया है। इनके योगदान से ही कर्नाटक संगीत आज भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना पहले था।

#5

कर्नाटक संगीत का आधुनिक युग में स्थान

आधुनिक युग में भी कर्नाटक संगीत अपनी अहमियत बनाए हुए है। श्रेया घोषाल और अरिजीत सिंह जैसे कई नए कलाकारों ने इस शैली को नया रूप दिया है। इन कलाकारों ने पारंपरिक रागों को आधुनिक संगीत में मिलाकर नई रचनाएं पेश की हैं, जिससे युवा पीढ़ी भी इस कला से जुड़ रही है। इस प्रकार कर्नाटक संगीत न केवल दक्षिण भारत, बल्कि पूरे देश में अपनी छाप छोड़ चुका है।

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