राशि चक्र चिन्हों का हमारे दिमाग पर नहीं पड़ता कोई प्रभाव, नए अध्ययन से हुआ खुलासा
क्या है खबर?
एक नए अध्ययन से खुलासा हुआ है कि राशि चक्र चिन्हों और हमारे मानसिक स्वास्थ्य के बीच कोई संबंध नहीं होता है। यह अध्ययन दक्षिण कोरिया के केइम्युंग विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर मोहसिन जोशानलू के नेतृत्व में किया गया था।
इस शोध में अमेरिकी-आधारित सर्वेक्षण कंपनी, जनरल सोशल सर्वे के 12,000 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया गया था।
आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से समझते हैं।
अध्ययन
जीवन के विभिन्न पहलुओं पर राशियों के प्रभाव का पता लगाता है यह अध्ययन
जोशानलू के इस अध्ययन का उद्देश्य प्रतिभागियों की राशि और बर्ताव व स्वभाव के बीच संबंध की पहचान करना था।
इसमें भाग लेने वाले लोगों की संख्या विविध थी, जिनमें 50 वर्ष की आयु के लोग शामिल थे, जिनमें से 55% प्रतिभागी महिलायें थीं।
अध्ययन में जोशानलू ने बताया कि कल्याण का मूल्यांकन 8 भागों में किया गया था: सामान्य नाखुशी, अवसादग्रस्त लक्षण, मनोवैज्ञानिक परेशानी, काम में असंतोष, वित्तीय असंतोष, जीवन की कथित नीरसता, खराब स्वास्थ्य और शादी से नाखुशी।
पूर्वानुमानित विश्लेषण
ज्योतिषीय संकेत कल्याण की भविष्यवाणी करने में विफल
इस अध्ययन के अलावा जोशानलू ने एक अन्य पोस्ट-हॉक विश्लेषण भी किया, जिसमें पता लगाया गया कि राशि चिन्ह भविष्य के कल्याण की भविष्यवाणी कर सकते हैं या नहीं।
उनके निष्कर्षों से पता चला कि ज्योतिषीय संकेत सामान्य संख्याओं की भाती ही पूर्वानुमानित थे। इसने संकेत दिया कि राशि चिन्हों का कल्याण की भविष्यवाणी पर कोई सार्थक प्रभाव नहीं पड़ता है और इसमें बताई गई बातें महज संजोग होती हैं।
धारणा
सबूतों के बाद भी लोगों का राशि चक्रों पर विश्वास है कायम
जोशानलू के अध्ययन के निष्कर्षों के बावजूद, अनुमान लगाया गया है कि अमेरिका के लगभग 30% लोग अभी भी मानते हैं कि उनका भाग्य उनकी राशि से जुड़ा हुआ है।
शोध में राशि चक्र के संकेतों और कल्याण के बीच कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं देखा गया, फिर भी लोगों का इसपर विश्वास कायम है।
इससे निपटने के लिए मनोवैज्ञानिकों, शिक्षकों और नीति निर्माताओं को जनता को शिक्षित करने और व्यक्तित्व की विज्ञान-आधारित समझ को बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
साक्षरता
लोगों को ज्योतिषीय मान्यताओं के विषय में शिक्षित करने की है जरूरत
जोशानलू ने निष्कर्ष निकाला कि लोगों को ज्योतिषीय मान्यताओं का समर्थन करने वाले वैज्ञानिक प्रमाणों के बारे में जागरूक करने की तत्काल जरूरत है।
उन्होंने सुझाव दिया कि वैज्ञानिक साक्षरता और आलोचनात्मक सोचने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक शिक्षा जरूरी है। इससे लोगों को सोच-समझ कर निर्णय लेने और गुमराह करने वाली मान्यताओं को चुनौती देने के लिए प्रेरणा मिलेगी।
साथ ही इसके जरिए लोग अपने बुरे बर्ताव के लिए अपनी राशि को दोष नहीं देंगे।