विवेकानंद रॉक मेमोरियल से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानिए, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने लगाया ध्यान
प्रधानमंत्री मोदी 30 मई की शाम को तमिलनाडु के शहर कन्याकुमारी के लिए रवाना हो गए थे और यहां उन्होंने विवेकानंद रॉक मेमोरियल हॉल में मेडिटेशन करना शुरू कर दिया है, जो शनिवार (01 जून) की शाम को समाप्त होगा। समुद्र से घिरी इस स्मारक की एक चट्टान पर कई सालों तक स्वामी विवेकानंद ने भी ध्यान लगाया था और उन्हीं को श्रद्धांजलि देने के लिए विवेकानंद रॉक मेमोरियल बनाया गया। आइए स्मारक के बारे में विस्तार से जानें।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल का निर्माण
साल 1964 में स्मारक का काम आध्यात्मिक दार्शनिक एकनाथ रामकृष्ण रानाडे ने शुरू किया था, जो कि साल 1970 में पूरा बना। इस स्मारक में एक वर्गाकार हॉल है, जिसे श्रीपाद मंडपम कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें विवेकानंद मंडपम भी है, जो पश्चिम बंगाल के बेलूर मठ में स्थित रामकृष्ण मंदिर के समान दिखता है। इस स्मारक का निर्माण प्राचीन शैली में किया गया है, जिसमें अलंकृत पत्थर और लकड़ियों का इस्तेमाल शामिल है।
कैसे पहुंचे विवेकानंद रॉक मेमोरियल?
हवाई मार्ग: स्मारक के निकट तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो उससे 90 किलोमीटर दूर है। इसके अतिरिक्त स्मारक से 240 किलोमीटर दूर मदुरै अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। रेल मार्ग: स्मारक के निकटतम रेलवे स्टेशन कन्याकुमारी रेलवे स्टेशन है, जो कि 1.3 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग: तिरुवनंतपुरम, मदुरै, कोयंबटूर, पुडुचेरी और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों से कन्याकुमारी के लिए बसे चलती हैं, जिनके जरिए आप आसानी से स्मारक तक पहुंच सकते हैं।
स्मारक का प्रवेश शुल्क और समय
विवेकानंद रॉक मेमोरियल समुद्र से घिरी हुई है, इसलिए स्मारक तक पहुंचने के लिए आपको नौका सेवा लेनी होगी, जिसकी प्रति व्यक्ति टिकट की कीमत 35 रुपये है। स्मारक की नौका सेवा का समय सुबह 8 बजे से शाम 4:30 बजे तक है, लेकिन मौसम में बदलाव होने पर समय बदल भी सकता है। स्मारक का प्रवेश शुल्क 20 रुपये प्रति व्यक्ति है और इसे देखने का अच्छा समय मार्च से जुलाई और अक्टूबर से मार्च है।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचकर क्या-क्या किया जा सकता है?
इस स्मारक में पहुंचकर आप मेडिटेशन का अभ्यास कर सकते हैं। आपको यहां बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का दृश्य भी देखने को मिल सकता है, जिस कारण यह फोटो खींचने के लिए एक आदर्श स्थान है। स्मारक के करीब कन्या देवी मंदिर भी है, जहां आप जा सकते हैं। समुद्र के किनारे पर पहुंचकर आप दक्षिण भारतीय व्यंजनों का भी जायका ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय बाजारों और स्टॉलों में भी जरूर जाएं।