
उच्च कोलेस्ट्रॉल के जोखिम कम करने में मदद कर सकती है प्याज, अध्ययन से आया सामने
क्या है खबर?
कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार की चर्बी है, जो हमारे खून में पाई जाती है और ये दो प्रकार (कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन यानी LDL और उच्च घनत्व वाला लिपोप्रोटीन यानी HDL) की होती है।
दिक्कत तब आती है, जब शरीर में LDL का स्तर बढ़ता है क्योंकि ये हृदय रोग और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि प्याज का सेवन LDL के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
अध्ययन
36 नर हैम्स्टर पर किया गया है यह अध्ययन
इस अध्ययन के लिए 36 नर हैम्स्टर को तीन समूहों में बांटा गया और उनमें से एक समूह को 8 हफ्ते तक LDL के उच्च स्तर को नियंत्रित करने के लिए आहार दिया, जबकि दूसरे समूह को प्याज का पाउडर दिया और तीसरे समूह को प्याज का अर्क दिया गया।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि जिस समूह को प्याज का पाउडर दिया गया था, उनके LDL के स्तर में गिरावट आई और HDL यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा।
बयान
यह अध्ययन अपनी तरह का पहला अध्ययन है- जेन
हांगकांग के चीन विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता जेन यू चेन ने कहा, "इस बारे में पहले बहुत कम जानकारी थी कि प्याज का सेवन शरीर के अंदर कोलेस्ट्रॉल चयापचय में शामिल मानव जीन और प्रोटीन के साथ कैसी प्रतिक्रिया करता है इसलिए हमने ये अध्ययन कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर प्याज की प्रतिक्रिया को चिह्नित करने के लिए किया।"
उन्होंने आगे कहा कि यह अध्ययन प्याज की प्रतिक्रिया का पता लगाने वाला पहला अध्ययन है।
सुधार
प्याज का सेवन कई चीजों को सुधारने में कर सकता है मदद
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (NLM) ने बताया कि प्याज का सेवन ब्लड लिपिड के लिए भी फायदेमंद है, जिसमें LDL, HDL और TC के प्लाज्मा स्तर में सुधार शामिल है। ब्लड लिपिड को नियंत्रित करने से हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण कई बीमारियां हो सकती है इसलिए इसे समय रहते नियंत्रित करना बहुत जरूरी है।
अन्य अध्ययन
अचानक कार्डियक अरेस्ट आने का जोखिम कम कर सकता है फलों का सेवन
यह पहली बार नहीं है, जब हृदय रोगों के जोखिम कम करने के लिए किसी सब्जी को फायदेमंद माना गाया। इससे पहले यह अध्ययन सामने आया था कि अधिक फल का सेवन कार्डियक अरेस्ट के जोखिम कम कर सकता है।
कैनेडियन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन ने अचानक आने वाले कार्डियक अरेस्ट से जुड़े 56 नॉन-क्लिनिकली जोखिम कारकों की पहचान की, जिसमें जीवनशैली, शारीरिक स्थिति, मनोसामाजिक कारक, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और स्थानीय वातावरण शामिल हैं।