भारतीय लोकगीतों में इस्तेमाल होने वाले 5 सबसे अनोखे वाद्य यंत्र, जो हैं संस्कृति का प्रतीक
क्या है खबर?
संगीत वह कला है, जो मन को सुकून देकर रूह को छू जाती है। भारत में इस कला को भगवान का तोहफा माना जाता है, जिसके कई प्रकार देखने को मिलते हैं।
भारतीय लोक संगीत में कई प्रकार के वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल होता है, जो देश की विविधता और संस्कृति का प्रतीक बनकर उभरते हैं।
ये इतिहास और आध्यात्मिकता का अंश माने जाते हैं। आइए भारतीय लोकगीतों में इस्तेमाल होने वाले अनोखे वाद्य यंत्रों के बारे में जानते हैं।
#1
घड़ा
एक समय पर मिट्टी का घड़ा सभी भारतीय घरों का हिस्सा हुआ करता था, जिसमें पानी भरा जाता था। हालांकि, यह पात्र लोक संगीतों को मधुर बनाने में भी योगदान देता है।
मटके को उल्टा करके गोद में रखा जाता है और हाथों की मदद से उसपर थाप मारी जाती है। इससे ध्वनियां निकलती हैं, जो दबाव के हिसाब से भिन्न होती हैं।
कई लोग मटके को बजाने के लिए छोटी-छोटी अंगूठियों का भी इस्तेमाल करते हैं।
#2
सारंगी
राजस्थान के किलों में कुछ संगीतकार बैठे हुए नजर आते हैं, जिनके हाथ में सितार जैसा छोटा वाद्य यंत्र होता है। यह वाद्य यंत्र सारंगी के नाम से जाना जाता है।
सारंगी एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो खास तौर से राजस्थान और उत्तर भारत में मशहूर है। यह धनुष से बजाया जाने वाला तार से बना वाद्य यंत्र होता है।
सारंगी को '100 रंगों का वाद्य' भी कहा जाता है, क्योंकि यह विभिन्न प्रकार की धुनें निकाल सकता है।
#3
संतूर
संतूर भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्य यंत्रों में से एक है, जो कश्मीर से तालुख रखता है। भारत में इसका इस्तेमाल शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है।
यह लकड़ी से बना वाद्य यंत्र है, जिसपर तार लगे होते हैं और जिसे छोटे हथौड़े की मदद से बजाया जाता है।
इससे घंटियों जैसी तेज और मधुर धुन निकलती है, जो मन को मोह लेती है।
#4
करताल
लोक संगीत और धार्मिक समारोहों में एक और खास वाद्य यंत्र इस्तेमाल होता है, जिसे करताल कहते हैं। ये लकड़ी से बने 2 छोटे खंड होते हैं, जिनके बीच में धातु के झांझर लगे होते हैं।
यह वाद्य यंत्र मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान में लोकप्रिय है। संगीतकार दोनों करताल को एक ही हाथ में पकड़ते हैं, जिनके टकराने पर मधुर संगीत पैदा होता है।
यह देखने में छोटे झांझ की तरह लगता है।
#5
मंजीरा
मंजीरा एक छोटा वाद्य यंत्र है, जिसे अक्सर भजन और कीर्तन के दौरान बजाया जाता है। ये धातु की 2 छोटी और गोल प्लेटें होती हैं, जो आपस में टकराकर एक विशिष्ट ध्वनि उत्पन्न करती हैं।
मंजीरे को हाथ झांझ, ताल या करटल भी कहा जाता है। इसे बजाने के लिए दोनों हाथों में एक-एक मंजीरा पकड़ना होता है और उन्हें एक साथ टकराना होता है।
मंजीरा आमतौर पर पीतल, तांबा या अन्य धातुओं से बना होता है।