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केरल की मूरल पेंटिंग बनाते समय इन 5 बातों का रखें ध्यान, होगा फायदा
केरल की मूरल पेंटिंग बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

केरल की मूरल पेंटिंग बनाते समय इन 5 बातों का रखें ध्यान, होगा फायदा

लेखन अंजली
Oct 31, 2025
10:27 pm

क्या है खबर?

केरल की मूरल पेंटिंग भारत के दक्षिणी भाग में स्थित केरल राज्य की एक पारंपरिक कला है। इस कला की विशेषता यह है कि इसमें धार्मिक और पौराणिक कहानियों को दीवारों पर चित्रित किया जाता है। केरल की मूरल पेंटिंग की खासियत इसकी चमकदार रंगों, विस्तृत विवरण और गहरी धार्मिक अहमियत है। अगर आप भी इस कला को सीखना चाहते हैं तो आइए आज हम आपको केरल की मूरल पेंटिंग बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताते हैं।

#1

सही सामग्री का चयन करें

केरल की मूरल पेंटिंग के लिए सही सामग्री का चयन करना बहुत जरूरी है। पारंपरिक रूप से इस कला में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, जो पौधों और खनिजों से प्राप्त होते हैं। इन रंगों में लाल, हरा, नीला, पीला और काला शामिल होते हैं। इसके अलावा दीवारों की सतह भी महत्वपूर्ण होती है। चिकनी और साफ सतह पर ही पेंटिंग बनानी चाहिए ताकि रंग अच्छे से चिपक सकें और लंबे समय तक टिकें।

#2

डिजाइन बनाना है जरूरी

मूरल पेंटिंग शुरू करने से पहले एक स्पष्ट डिजाइन बनाना बहुत जरूरी है। डिजाइन बनाने के लिए पहले एक स्केच तैयार करें, जिसमें पेंटिंग की सभी आकृतियां और विवरण शामिल हों। इसके बाद स्केच को दीवार पर हल्के हाथ से अंकित करें ताकि आपको पेंटिंग बनाने में आसानी हो। ध्यान रखें कि डिजाइन ऐसा हो जो देखने में आकर्षक लगे और पेंटिंग की थीम के अनुसार हो।

#3

रंग भरने का तरीका जानें

केरल की मूरल पेंटिंग में रंग भरने का तरीका बहुत ही खास होता है। रंग भरने के लिए पहले बेस कोट लगाया जाता है, फिर ऊपर से अलग-अलग रंगों की परतें डाली जाती हैं। हर रंग की परत सूखने के बाद ही अगली परत डाली जाती है ताकि रंग अच्छे से सेट हो सकें। इसके लिए धैर्य रखना बहुत जरूरी है क्योंकि जल्दीबाजी करने से रंग खराब हो सकते हैं और पेंटिंग का पूरा लुक बिगड़ सकता है।

#4

पारंपरिक उपकरणों का उपयोग करें

केरल की मूरल पेंटिंग बनाने के लिए पारंपरिक उपकरणों का उपयोग करना चाहिए जैसे ब्रश, चूना पत्थर, काला चूना आदि। इन उपकरणों का सही तरीके से उपयोग करने पर ही अच्छी पेंटिंग बन सकती है। इसके अलावा इन उपकरणों का उपयोग करते समय सावधानी बरतें ताकि कोई नुकसान न हो। इसके साथ ही पेंटिंग करते समय ध्यान रखें कि कोई उपकरण टूटे नहीं और सही तरीके से काम करें।

#5

धैर्य रखें और अभ्यास करें

केरल की मूरल पेंटिंग एक ऐसी कला है जिसमें धैर्य और अभ्यास बहुत जरूरी होता है। शुरुआती दौर में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं, लेकिन नियमित अभ्यास करने पर आप इसमें माहिर हो जाएंगे। हमेशा नई तकनीकों और तरीकों को अपनाने की कोशिश करें ताकि आपकी कला में निखार आए। इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए आप केरल की मूरल पेंटिंग सीख सकते हैं और इस पारंपरिक कला का आनंद ले सकते हैं।