
उड़ने वाली गिलहरियों से जुड़ी कई बाते हैं आश्चर्यजनक
क्या है खबर?
उड़ने वाली गिलहरियां एक अनोखी प्रजाति हैं, जो अपने खास पंखों की वजह से उड़ने का भ्रम पैदा करती हैं। ये गिलहरियां मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में पाई जाती हैं। इनका जीवन शैली, भोजन और सामाजिक व्यवहार भी बहुत दिलचस्प है। इस लेख में हम उड़ने वाली गिलहरियों से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों पर चर्चा करेंगे, जो आपको हैरान कर देंगी।
#1
उड़ने का तरीका होता है अनोखा
उड़ने वाली गिलहरियां अपने शरीर के दोनों तरफ फैले हुए पतले झिल्ली जैसे पंखों की मदद से उड़ने का भ्रम पैदा करती हैं। ये पंख हवा में उन्हें संतुलित रखने में मदद करते हैं। जब ये गिलहरियां कूदती हैं तो अपने पैरों को फैलाकर हवा में खुद को संतुलित करती हैं और धीरे-धीरे हवा में ऊपर उठने का भ्रम पैदा करती हैं। इस तरह ये पेड़ों से पेड़ों तक आसानी से उड़ान भरती हैं।
#2
सामाजिक जीव होती हैं ये गिलहरी
उड़ने वाली गिलहरियां बहुत ही मिलनसार होती हैं। ये अक्सर समूह में रहती हैं और अपने परिवार के साथ समय बिताती हैं। इनका समूह बहुत ही संगठित होता है, जिसमें हर सदस्य अपनी भूमिका निभाता है। ये गिलहरियां एक-दूसरे के साथ संवाद करने के लिए अलग-अलग तरह की आवाजें निकालती हैं और शरीर की भाषा का उपयोग करती हैं। इसके अलावा ये अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखती हैं और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कई प्रयास करती हैं।
#3
भोजन करने का तरीका
उड़ने वाली गिलहरियां मुख्य रूप से फल, नट्स, बीज और फूलों पर निर्भर करती हैं। ये अपने भोजन को पेड़ों पर जमा करती रहती हैं ताकि जब जरूरत पड़े तो आसानी से मिल सके। इसके अलावा ये गिलहरियां अपने भोजन को जमीन पर गिरने नहीं देतीं, बल्कि उसे अपने पैरों से पकड़कर वापिस अपने मुंह में डालती रहती हैं। इस तरह ये अपने भोजन को सुरक्षित रखती हैं और जरूरत पड़ने पर इसका सेवन करती हैं।
#4
सोने की आदते होती हैं अलग
उड़ने वाली गिलहरियां दिन के समय सोती हैं और रात में सक्रिय रहती हैं। यह उनकी प्राकृतिक आदत है। रात के समय ये गिलहरियां अपने भोजन की खोज करती हैं और अपने परिवार के साथ समय बिताती हैं। इसके अलावा ये गिलहरियां अपने घोंसले को बहुत ही साफ-सुथरा रखती हैं ताकि उनमें कोई बीमारी न फैल सके। इनकी यह विशेषता इन्हें अन्य जानवरों से अलग बनाती है।
#5
संरक्षण की है जरूरत
उड़ने वाली गिलहरियां वर्तमान समय में संरक्षण संकट का सामना कर रही हैं क्योंकि इनके रहने के स्थानों का विनाश हो रहा है। मनुष्यों द्वारा वनों की कटाई और शहरीकरण के कारण इनका प्राकृतिक घर नष्ट हो रहा है, जिससे इनकी प्रजाति खतरे में पड़ गई है। इसलिए इनकी रक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इनके आवास स्थानों को सुरक्षित रखा जा सके और इनकी संख्या बढ़ सके।