ब्रेन स्ट्रोक से जुड़ी 5 आम गलतफहमियां और जरूरी तथ्य, हर किसी को होने चाहिए पता
क्या है खबर?
ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे लेकर कई गलतफहमियां हैं।
इस लेख का उद्देश्य इन भ्रमों को दूर करना और सही जानकारी देना है। ब्रेन स्ट्रोक किसी भी उम्र में हो सकता है, चाहे वह युवा हो या बुजुर्ग।
इसके लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी होता है, जैसे अचानक कमजोरी आना या शरीर के एक तरफ सुन्नता महसूस होना, बोलने में कठिनाई, दृष्टि संबंधी समस्याएं आदि।
सही जानकारी से हम समय पर उचित कदम उठा सकते हैं।
#1
भ्रम- ब्रेन स्ट्रोक केवल बुजुर्गों को होता है
यह सोचना कि ब्रेन स्ट्रोक केवल बुजुर्गों को होता है, गलतफहमी है।
सच ये है कि उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा बढ़ता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
आजकल युवा लोगों में भी ब्रेन स्ट्रोक के मामले देखे जा रहे हैं, खासकर उन लोगों में जो अस्वस्थ जीवनशैली अपनाते हैं या जिनमें उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं होती हैं।
इसलिए सभी उम्र के लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और नियमित जांच करानी चाहिए।
#2
भ्रम- सिरदर्द ही ब्रेन स्ट्रोक का मुख्य लक्षण होता है
सिरदर्द एक सामान्य लक्षण हो सकता है, लेकिन इसे हमेशा ब्रेन स्ट्रोक का संकेत नहीं माना जा सकता है।
वास्तव में स्ट्रोक के अधिक सामान्य लक्षणों में अचानक कमजोरी या सुन्नता महसूस होना शामिल है, खासकर शरीर के एक तरफ।
इसके अलावा बोलने या समझने में कठिनाई और दृष्टि संबंधी समस्याएं भी इसके संकेत हो सकते हैं।
अगर इनमें से कोई भी लक्षण अचानक प्रकट होते हैं तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना जरूरी होता है ताकि सही उपचार मिल सके।
#3
भ्रम- स्वस्थ जीवनशैली वाले लोग ब्रेन स्ट्रोक से सुरक्षित रहते हैं
स्वस्थ जीवनशैली अपनाना ब्रेन स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है, लेकिन पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं देता। इसलिए ये भी एक गलतफहमी है कि स्वस्थ जीवनशैली वाले लोग स्ट्रोक से सुरक्षित रहते हैं।
कुछ आनुवंशिक कारक या स्थितियां जैसे मधुमेह या उच्च रक्तचाप भी खतरा बढ़ा सकते हैं। इसलिए भले ही आप सेहतमंद जीवनशैली जी रहे हों, नियमित स्वास्थ्य जांच जरूरी है।
इससे संभावित खतरे की समय पर पहचान हो सकती है और स्वास्थ्य को बेहतर संभाल सकते हैं।
#4
भ्रम- हर प्रकार का ब्रेन स्ट्रोक समान होता है
ये भी एक गलत धारणा है कि हर प्रकार का ब्रेन स्ट्रोक समान होता है। स्ट्रोक दो मुख्य प्रकार (इस्केमिक और हेमोरेजिक) के होते हैं ।
इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क तक खून पहुंचाने वाली धमनियों में रुकावट आती है, जबकि हेमोरेजिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे खून बहने लगता है।
दोनों प्रकार के स्ट्रोक अलग-अलग कारणों से होते हैं और इनके इलाज की विधि भी भिन्न होती है।
#5
भ्रम- ब्रेन स्ट्रोक के बाद व्यक्ति ठीक नहीं हो सकता है
यह मानना कि ब्रेन स्ट्रोक के बाद व्यक्ति ठीक नहीं हो सकता, गलत है।
सही उपचार और पुनर्वास से व्यक्ति अपनी खोई हुई क्षमताएं काफी हद तक वापस पा सकता है।
फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी और अन्य चिकित्सीय उपाय इसमें मददगार होते हैं।
परिवार का सहयोग और सकारात्मक सोच भी अहम भूमिका निभाते हैं। सही जानकारी से जागरूकता बढ़ती है और समय पर उचित कदम उठाने में मदद मिलती है।