LOADING...
अपने शरीर का आकार या बनावट बदलने में सक्षम हैं ये जीव, जानिए इनके बारे में
अपने शरीर को बदलने वाले जीव

अपने शरीर का आकार या बनावट बदलने में सक्षम हैं ये जीव, जानिए इनके बारे में

लेखन अंजली
Aug 12, 2025
06:03 pm

क्या है खबर?

अक्सर हम इंसान अपने कपड़ों या फिर मेकअप से अपने रूप-रंग में बदलाव कर लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई जीव अपने आकार और रंग को बदल सकते हैं। जी हां, कुछ जीव अपने रंग और आकार को इस तरह बदलते हैं कि उन्हें देख पाना मुश्किल हो जाता है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे जीवों के बारे में बताते हैं, जो अपने रूप-रंग का बदलाव खुद कर सकते हैं।

#1

म्यूटेबल रेन फ्रॉग

म्यूटेबल रेन फ्रॉग एक ऐसा मेंढक है, जो अपने शरीर के आकार और रंग को बदल सकता है। यह मेंढक अपने शरीर के आकार को बढ़ाकर और रंग को बदलकर अपने आप को शिकारियों से बचाता है। इस प्रक्रिया को 'रूप बदलना' कहा जाता है। यह मेंढक मुख्य रूप से अफ्रीका के वर्षा वन क्षेत्रों में पाया जाता है। म्यूटेबल रेन फ्रॉग अपने शरीर के आकार और रंग को बदलकर अपने आप को शिकारियों से बचाता है।

#2

मिमिक ऑक्टोपस

मिमिक ऑक्टोपस एक ऐसा ऑक्टोपस है, जो अपने शरीर के आकार बदलकर अन्य समुद्री जीवों की नकल कर सकता है। यह नकल इतनी प्रभावी होती है कि शिकारियों को इसका असली रूप पहचानना मुश्किल हो जाता है। मिमिक ऑक्टोपस अपने शरीर के हिस्सों को अलग-अलग जीवों जैसे सांप, जेलीफिश और कछुओं की तरह दिखाकर खुद को बचाता है। यह ऑक्टोपस मुख्य रूप से इंडो-पैसिफिक महासागर क्षेत्र में पाया जाता है।

#3

कटलफिश

कटलफिश एक ऐसी मछली है, जो अपनी त्वचा को बदलकर अपने आप को शिकारियों से बचा सकती है। यह मछली अपने शरीर के आकार को बदलकर अपने आसपास के माहौल से मेल खा सकती है। कटलफिश मुख्य रूप से हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में पाई जाती है। इसका आकार और रंग समुद्री तल पर मौजूद वस्तुओं से मिलता-जुलता होता है।

#4

पफर फिश

पफर फिश एक ऐसी मछली है, जो अपने शरीर का आकार बढ़ाकर खुद को शिकारियों से बचा सकती है। जब पफर फिश खतरे में पड़ती है तो यह पानी पीकर अपना पेट भर लेती है, जिससे उसका आकार बड़ा हो जाता है और उसका शरीर कांटेदार हो जाता है। इस प्रक्रिया को 'फूलना' कहा जाता है। पफर फिश मुख्य रूप से प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में पाई जाती है।

#5

चामेलियन

चामेलियन यानी गिरगिट अपने शरीर के रंग को बदलकर पर्यावरण से मेल खाती है। यह रंग परिवर्तन मुख्य रूप से अपनी त्वचा पर मौजूद विशेष ग्रंथियों द्वारा नियंत्रित होता है। चामेलियन अपने रंग को बदलकर शिकारियों से बचता है और शिकार करने में भी मदद मिलती है। चामेलियन मुख्य रूप से अफ्रीका, मेडागास्कर, दक्षिण यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया और अरब प्रायद्वीप में पाया जाता है।