
महाराष्ट्र की संस्कृति को दर्शाने वाले 4 पारंपरिक त्योहार, जिनका हिस्सा बनना होगा शानदार अनुभव
क्या है खबर?
महाराष्ट्र भारत के पश्चिमी भाग में स्थित एक खूबसूरत राज्य है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है। यहां कई त्योहार मनाए जाते हैं, जो राज्य की विविधता और जीवंतता को दर्शाते हैं। इन त्योहारों में पारंपरिक नाच-गाना, संगीत, नाटक और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होती हैं। आइए आज हम आपको महाराष्ट्र के कुछ ऐसे सांस्कृतिक त्योहारों के बारे में बताते हैं, जिनमें शामिल हो कर आपका दिल खुश हो जाएगा।
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गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का सबसे लोकप्रिय त्योहार है, जो भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस त्योहार की शुरुआत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि से होती है और यह 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान घरों में गणपति जी की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा की जाती है। त्योहार के अंत में इन मूर्तियों को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
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मांडवा महोत्सव
मांडवा महोत्सव महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में मनाया जाने वाला एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है। यह उत्सव हर साल फरवरी में आयोजित किया जाता है। इस महोत्सव में पारंपरिक नाच-गाना, संगीत, नाटक और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होती हैं। इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण मांडवा नृत्य है, जिसमें कलाकार पारंपरिक कपड़े पहनकर नाचते हैं। इसमें शामिल हो कर आप पारंपरिक मराठी पकवानों का भी लुत्फ उठा सकते हैं, जिनका स्वाद बहुत अच्छा होता है।
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नागपंचमी
नागपंचमी महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे सावन महीने के कृष्ण पक्ष की पांचवीं तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार पर महिलाएं घरों के बाहर सांपों की मिट्टी या लकड़ी से बनी मूर्तियां लगाती हैं और उनकी पूजा करती हैं। यह त्योहार 2 कारणों से मनाया जाता है, जिनमें से एक है कि अब नाग पाताल लोक में निवास करते हैं। साथ ही इस दिन लोग अपने परिवार की खुशहाली के लिए नागों का आशीर्वाद मांगते हैं।
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मकर संक्रांति
मकर संक्रांति महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जिसे हर साल जनवरी में मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देवता को समर्पित है और इसमें लोग तिल-गुड़ से बनी मिठाइयां खाते हैं। मकर संक्रांति पर लोग पतंग उड़ाते हुए भी दिखाई देते हैं। इस त्योहार पर महिलाएं अपने घरों में रंगोली बनाती हैं और भगवान सूर्य की पूजा करती हैं। यह त्योहार फसल कटाई से जुड़ा हुआ है।