
क्या डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ हमले से रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय प्रारूप को मजबूती मिलेगी?
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर किए जा रहे टैरिफ हमलों के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साल के अंत में भारत का दौरा करने का निर्णय किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने इसकी पुष्टि की है। इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 31 अगस्त को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे। इन यात्राओं से रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय प्रारूप को मजबूती मिलेगी। आइए इसके बारे में जानते हैं।
घोषणा
ट्रंप ने क्या की है घोषणा?
राष्ट्रपति ट्रंप ने 1 अगस्त को भारत के रूस से तेल खरीदने पर नाराजगी जताते हुए 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने भारत पर जुर्माना लगाने की भी धमकी दी थी। हालांकि, उसके बाद भी भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद करने के संबंध में कोई बयान नहीं दिया। ऐसे में ट्रंप ने 6 अगस्त को भारत पर 25 प्रतिशत और टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। यह टैरिफ अब 27 अगस्त से लागू किया जाएगा।
प्रतिक्रिया
भारत ने ट्रंप के आदेश पर क्या दी प्रतिक्रिया?
ट्रंप के फैसले पर विदेश मंत्रालय ने कहा, "हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले स्पष्ट कर दी है। हमारा आयात बाजार कारकों पर आधारित है और इसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर ऐसे कदमों के लिए अतिरिक्त टैरिफ लगाने का विकल्प चुना है। हम फिर से दोहराते हैं कि ये अनुचित और अविवेकपूर्ण हैं। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।"
सवाल
पहले जानिए क्या है RIC
RIC त्रिपक्षीय रणनीतिक समूह की अवधारणा 1990 के दशक में पूर्व रूसी प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव ने बढ़ते पश्चिमी प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए बनाई थी। 1990 के दशक से RIC ने 20 मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित की हैं। हालांकि, 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच बिगड़े संबंधों के बाद से RIC निष्क्रिय रहा है, लेकिन अब अमेरिकी कदम के बाद पुतिन ने RIC त्रिपक्षीय प्रारूप को पुनर्जीवित करने पर जोर दिया है।
जानकारी
पश्चिमी देशों के लिए बड़ी चुनौती है RIC
RIC देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 33 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं और वे एकतरफावाद के विचार का विरोध करते हैं। ये तीनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं और SCO, BRICS और G-20 जैसे महत्वपूर्ण संगठनों के सदस्य भी हैं।
नजरिया
RIC पर क्या है भारत का नजरिया?
आमतौर पर, चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण भारत ने RIC से दूरी बनाए रखी है। हालांकि, दुनिया की भू-राजनीतिक स्थिति में बदलाव, रूस के साथ बढ़ती नजदीकी और अमेरिका द्वारा उठाए गए टैरिफ बढ़ाने के कदम के बाद भारत को RIC के बारे में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। यही कारण है कि पिछले महीने भारत ने भी RIC को पुनर्जीवित करने के प्रति सकारात्मक संकेत दिए थे।
जानकारी
RIC पर विदेश मंत्रालय ने जारी किया था बयान
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जुलाई में कहा था, "RIC एक ऐसा तंत्र है जहां 3 देश अपने-अपने हित के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए साथ आते हैं। इसके पुनरुद्धार पर कोई भी चर्चा सुविधाजनक तरीके से की जाएगी।"
जोर
रूस और चीन ने भी दिया RIC के पुनरुद्धार पर जोर
रूस और चीन दोनों ने RIC के पुनरुद्धार पर जोर दिया है। पिछले महीने रूस ने उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेको ने कहा था, "RIC का विषय दोनों देशों के साथ हमारी बातचीत में शामिल है। हम इस त्रिपक्षीय प्रारूप को कारगर बनाने में रुचि रखते हैं क्योंकि ये तीनों देश BRICS के संस्थापकों के अलावा महत्वपूर्ण साझेदार भी हैं।" चीन ने कहा था कि वह इस प्रारूप को क्रियाशील बनाने में रुचि रखता है क्योंकि यह आवश्यक है।
जानकारी
क्या पुतिन की भारत यात्रा पर होगी RIC पर चर्चा?
इस बात की प्रबल संभावना है कि पुतिन की भारत यात्रा के दौरान RIC के पुनरुद्धार पर चर्चा हो सकती है। पुतिन की यात्रा दर्शाती है कि अमेरिका की बार-बार की धमकियों के बावजूद भारत, रूस के साथ अपने संबंधों से पीछे नहीं हटेगा।
परिणाम
ट्रंप की टैरिफ धमकियां भारत, चीन और रूस को ला रही करीब
ट्रंप की टैरिफ धमकियां तीनों देशों को करीब ला रही हैं। रूस और चीन दोनों भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के ट्रंप प्रशासन के फैसले की आलोचना कर रहे हैं। ट्रंप के पीछे हटने का संकेत न देने के साथ इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत, रूस और चीन अब अमेरिका के खिलाफ एकजुट मोर्चा दिखाने के लिए RIC को पुनर्जीवित कर सकते हैं। यही कारण है कि तीनों देशों ने चर्चा शुरू कर दी है।