प्रधानमंत्री मोदी के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिखती थीं उनकी मां हीराबेन?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का शुक्रवार सुबह 99 वर्ष की आयु में गुजरात के अहमदाबाद में निधन हो गया।
प्रधानमंत्री ने गांधीनगर पहुंचकर अपनी मां को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
हीराबेन आमतौर पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ किसी सरकारी और सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होती थीं।
प्रधानमंत्री ने अपनी मां के 99वें जन्मदिन पर एक ब्लॉग लिखकर इसकी वजह बताई थी।
समारोह
इसलिए मोदी के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होती थीं हीराबेन
प्रधानमंत्री ने लिखा था कि जब लोग मां के पास जाकर पूछते थे कि आपका बेटा प्रधानमंत्री है, आपको गर्व होता होगा तो मां का जवाब बड़ा गहरा होता था।
हीराबेन लोगों से कहती थीं, "जितना आपको गर्व होता है, उतना ही मुझे भी होता है। वैसे भी मेरा कुछ नहीं है। मैं तो निमित्त मात्र हूं। वो तो भगवान का है।"
हीराबेन प्रधानमंत्री मोदी के साथ सिर्फ दो बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुई थीं।
कार्यक्रम
हीराबेन ने लाल चौक पर तिरंगा फहराकर लौटे मोदी का किया था टीका
हीराबेन ने एकता यात्रा के तहत श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर लौटने पर अमदाबाद में हुए नागरिक सम्मान कार्यक्रम में मोदी का मंच पर आकर टीका किया था।
उनके लिए वो काफी बहुत भावुक पल था क्योंकि एकता यात्रा के दौरान फगवाड़ा में एक आतंकी हमने में कुछ लोगों की मौत हो गई थी जिसके कारण हीराबेन काफी चिंतित थीं।
हीराबेन ने यात्रा के दौरान फोन करके मोदी का हालचाल भी लिया था।
समारोह
मोदी के पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर शपथ ग्रहण में शामिल हुई थीं हीराबेन
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था कि वर्ष 2002 में उनके पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के दैरान उनकी मां समारोह में शामिल हुई थीं।
यह दूसरा मौका था जब हीराबेन मोदी के साथ सार्वजनिक तौर पर दिखाई दी थीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बताया था कि 20 साल पहले का वो शपथ ग्रहण आखिरी सार्वजनिक समारोह था जब उनकी मां सार्वजनिक रूप से उनके साथ कहीं उपस्थित रहीं थीं।
किस्सा
जब सम्मान समारोह में शामिल होने से हीराबेन ने किया था मना
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था कि गुजरात का मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने अपने शिक्षकों का सम्मान करने की इच्छा जताई थी।
उन्होंने सोचा था कि मां भी उनकी सबसे बड़ी शिक्षक रही हैं तो उनका भी सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन उनकी मां ने कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया था।
हीराबेन ने कहा था, "मैं तो निमित्त मात्र हूं। तुम्हारा मेरी कोख से जन्म लेना लिखा हुआ था। तुम्हें मैंने नहीं भगवान ने गढ़ा है।"