जब पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने किया था 'इंडिया' नाम का विरोध, जानें कहानी
देश में इन दिनों 'इंडिया' और 'भारत' नाम को लेकर खूब बहस चल रही है। G-20 शिखर सम्मेलन के लिए भेजे जा रहे आधिकारिक निमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत', 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना भी 'इंडिया' नाम का विरोध करते थे। आइए आज जिन्ना और 'इंडिया' नाम के विरोध की कहानी जानते हैं।
क्या था मामला?
अगस्त, 1947 में भारत आजाद हुआ और एक नए देश पाकिस्तान का जन्म हुआ। उस वक्त लुईस माउंटबेटन भारत और जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे। करीब एक महीने बाद माउंटबेटन ने जिन्ना को एक कला प्रदर्शनी का मानद अध्यक्ष बनने के लिए आमंत्रित किया था। इस आमंत्रण पत्र पर 'डोमिनियंस ऑफ इंडिया एंड पाकिस्तान' लिखा था। जिन्ना ने आमंत्रण पत्र में लिखे 'इंडिया' शब्द का विरोध किया था।
इंडिया शब्द पर जिन्ना ने क्या कहा था?
जिन्ना ने इंडिया शब्द का विरोध करते हुए माउंटबेटन को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा, "यह अफसोस की बात है कि कुछ रहस्यमय कारणों से हिंदुस्तान ने 'इंडिया' शब्द अपना लिया है, जो निश्चित रूप से भ्रामक है और इसका उद्देश्य भ्रम पैदा करना है।" जिन्ना चाहते थे कि इस पर 'पाकिस्तान और हिंदुस्तान कला की प्रदर्शनी' लिखा हो। हालांकि, माउंटबेटन को ये मंजूर नहीं था और उन्होंने बदलाव नहीं किया था।
जिन्ना के विरोध के पीछे क्या थी वजह?
स्क्रॉल पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि इंडिया नाम पर जिन्ना की आपत्ति इस वजह से थी, क्योंकि वे दोनों देशों के पूर्ण विभाजन की बजाय एक संघ बनाना चाहते थे। रिपोर्ट में इतिहासकार आयशा जलाल के हवाले से कहा गया है कि ये टिप्पणी इस बात का संकेत थी कि जिन्ना ने पाकिस्तान और हिंदुस्तान के आधार पर एक संघ बनाने की अपनी रणनीति को कभी नहीं छोड़ा।
देश को कैसे मिला इंडिया नाम?
दरअसल, इंडिया शब्द की उत्पत्ति 'इंडस' नामक शब्द से हुई है। हमारी सभ्यता का नाम सिंधु घाटी था, जो सिंधु नदी के पास थी। सिंधु घाटी को इंडस वैली कहा जाता था। यही शब्द बदलकर लैटिन भाषा में इंडिया हो गया। नाम को लेकर एक दूसरी थ्योरी कहती है कि अंग्रेजों को भारत या हिंदुस्तान का उच्चारण करने में परेशानी होती थी। इस वजह से उन्होंने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया।
नाम को लेकर संविधान में क्या दर्ज है?
इंडिया नाम को लेकर कई बार आपत्तियां दर्ज की गईं। मुस्लिम लीग ने विभाजन से पहले 'यूनियन ऑफ इंडिया' नाम पर आपत्ति जताई थी। संविधान सभा में भी इसे लेकर कई चर्चाएं हुईं। हालांकि, संविधान में दोनों शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। संविधान में लिखा है, 'इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ होगा।' इसके बाद से ही ये शब्द प्रचलन में आ गया है। आधिकारिक दस्तावेजों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
मामले पर सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें याचिकाकर्ता ने कोर्ट से सभी उद्देश्यों के लिए "इंडिया" को "भारत" कहे जाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा था कि लोग अपनी इच्छा के अनुसार इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं।