
इजरायल और ईरान के बीच चल रहा युद्ध भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?
क्या है खबर?
इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुई लड़ाई एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ती दिख रही है।
वैश्विक नेताओं द्वारा युद्ध को टालने के लिए किए जा रहे अथक प्रयासों के बाद भी यह चौथे दिन में प्रवेश कर गया है।
दोनों देश लगातार एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
इस बीच आइए जानते हैं कि यह युद्ध भारत के लिए किस तरह से चिंता की बात है।
शुरुआत
कैसे हुई युद्ध की शुरुआत?
इजरायल ने 13 जून को ईरान की राजधानी तेहरान में परमाणु ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया था, जिसमें सेना प्रमुख और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स प्रमुख समेत कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
उसके बाद ईरान ने भी इजरायल के तेल अवीव समेत कई शहरों में भीषण मिसाइल हमले किए। इन हमलों में अब ईरान में 224 और इजरायल में 13 लोगों की मौत हो चुकी है।
इसी तरह ईरान ने शांति वार्ता के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है।
चिंता
इजरायल-ईरान युद्ध भारत के लिए चिंता की बात क्यों?
इजरायल और ईरान युद्ध से भारत को कई तरह के परिणाम भुगतने पड़ेंगे। शुक्रवार को सेंसेक्स के 573 अंक नीचे बंद होने के बाद भारतीय बाजार पर संघर्ष कर रहा है।
दोनों देशों में मौजूद भारतीय भी खतरें में हैं। इजरायल में 18,000 से 20,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें छात्र और भारतीय मूल के यहूदी शामिल हैं।
10 मार्च, 2025 तक 6,694 भारतीय कर्मचारी इजरायल में थे। इसी तरह वर्तमान में ईरान में लगभग 10,765 भारतीय रहते हैं।
स्थिति
अभी कैसे भी भारतीयों की स्थिति?
इजरायल में भारतीय दूतावास अधिकारियों ने कहा है कि सभी भारतीय सुरक्षित हैं और वे लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उनकी मदद के लिए 24X7 हेल्पलाइन शुरू की है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में ईरान से भारतीयों को निकालना मुश्किल है। ऐसे में भारतीय छात्रों की सुरक्षा के लिए काम किया जा रहा है और कुछ मामलों में उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।
ईरान ने स्थलीय सीमा से निकासी अभियान की अनुमति दी है।
तेल
इजरायल-ईरान युद्ध से तेल की कीमतों में उछाल
इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष भले ही पूर्ण युद्ध में नहीं बदला है, लेकिन इसका प्रभाव तेल की कीमतों पर जल्द ही आ सकता है।
सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के प्रमुख ऊर्जा बुनियादी ढांचे को लक्षित कर रहे हैं।
सुबह 07:55 बजे इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज पर ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 75.14 डॉलर प्रति बैरल थी, जो रविवार की तुलना में 1.24 प्रतिशत अधिक है।
मार्ग
भारत की तेल आपूर्ति में बाधा बन सकता है युद्ध
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत के लिए ईरान तेल का आपूर्तिकर्ता नहीं है, लेकिन चिंता की बात होर्मुज जलडमरूमध्य है, जो उत्तर में ईरान और दक्षिण में अरब प्रायद्वीप के बीच स्थित है।
यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया की लगभग 20 प्रतिशत तेल आपूर्ति इसी रास्ते से होती है।
होर्मुज जलडमरूमध्य के आसपास बाधा से इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से तेल की आपूर्ति प्रभावित होगी, जो भारत के लिए प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं।
व्यापार
व्यापार मार्ग भी हो सकते हैं प्रभावित
इजरायल और ईरान के बीच व्यापक संघर्ष भारत के निर्यात को नुकसान पहुंचा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मालवाहक जहाजों को महत्वपूर्ण लाल सागर मार्ग के बजाय केप ऑफ गुड होप मार्ग का उपयोग करना होगा, जिससे अधिक समय और लागत आएगी।
लाल सागर में जब हौथी जहाजों पर हमला कर रहे थे, तब शिपिंग लागत बढ़ गई थी। इसके अलावा, लंबी यात्राओं कारण जहाज की उपलब्धता भी कम हो गई थी, जिससे महंगाई भी बढ़ी थी।
जानकारी
दोनों देशों के साथ भी प्रभावित होगा व्यापार
भारत के लिए व्यापार मार्ग ही एकमात्र परेशानी नहीं है। भारत के इजरायल और ईरान के साथ महत्वपूर्ण व्यापारिक संबंध हैं। दोनों से उसका कुल व्यापार 5 बिलियन डॉलर (42,000 करोड़ रुपये) है। युद्ध के चलते इस पर भी काफी असर पड़ सकता है।
विमानन
विमानन सेवा पर भी पड़ेगा बड़ा असर
ईरान और इजरायल के हवाई क्षेत्र बंद करने से भारत सहित वैश्विक विमानन उद्योग पर असर पड़ सकता है।
दिल्ली हवाई अड्डा प्रशासन ने ईरान, इराक और पड़ोसी देशों में हवाई क्षेत्र की बदलती परिस्थितियों के कारण कुछ उड़ानों के कार्यक्रम में बदलाव की बात कही है।
ऐसे में विमानों को लंबे मार्ग से यात्रा करनी होगी, जिससे ईंधन की खपत बढ़ेगी और सफर महंगा होगा।
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