#NewsBytesExplainer: जल संकट से क्यों जूझ रहा है बेंगलुरु और क्या प्रयास कर रही है सरकार?
क्या है खबर?
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु गंभीर जल संकट का सामना कर रही है। शहर के 3,000 से अधिक बोरवेल सूख गए हैं और पहले 500 रुपये में मिलने वाला पानी का टैंकर अब 2,000 रुपये में मिल रहा है।
कई इलाकों में स्कूल बंद हैं और मुख्यमंत्री आवास में टैंकरों से पानी भेजा जा रहा है। सरकार ने अब पानी के गैरजरूरी इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
आइए समझते हैं कि बेंगलुरु क्यों जल संकट का सामना कर रहा है।
हालात
सबसे पहले जानिए बेंगलुरु में कैसे हैं हालात
पानी के लिए पूरे शहर में लोगों की कतार देखी जा सकती है। लोग घंटों लाइन में लगकर 5 रूपये में 20 लीटर पीने का पानी खरीद रहे हैं।
कोचिंग सेंटरों ने भी आपात स्थिति की घोषणा करते हुए छात्रों से ऑनलाइन कक्षाएं लेने को कहा है। राज्य के 236 तालुकों में से 223 सूखे की चपेट में हैं।
स्थिति इतनी खराब है कि सरकार ने अब विशेष तौर पर पानी के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है।
वजह
क्यों जलसंकट का सामना कर रहा शहर?
जलसंकट की एक तात्कालिक वजह इस साल बारिश की कमी को माना जा रहा है।
अल नीनो प्रभाव के चलते इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर रहा है। इस वजह से जून से सितंबर के दौरान कर्नाटक में 839 मिलीमीटर की तुलना में 633 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज की गई है। अक्टूबर से दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक भी सामान्य 188 मिलीमीटर की तुलना में 113 मिलीमीटर बारिश ही हुई है।
विकास
जलसंकट के पीछे अनियोजित विकास भी है वजह?
2007 में आसपास के 110 गांवों को बेंगलुरु में शामिल किया गया था। जिन इलाकों को जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है, वो हाल ही में बसे हैं।
मनी कंट्रोल से बात करते हुए जल कार्यकर्ता विश्वनाथ श्रीकांतैया ने कहा, "बेंगलुरु के पुराने हिस्से, जो अच्छी तरह से नियोजित हैं, जैसे जयनगर में भूजल स्तर पर्याप्त है। यह नए और विस्तारित शहरी इलाके हैं, जो आज संकट का खामियाजा भुगत रहे हैं।"
समस्या
नए इलाकों में क्यों सामने आ रही है समस्या?
बता दें कि बेंगलुरु के पुराने इलाकों में पाइपलाइन के जरिए पानी की आपूर्ति की जाती है, वहीं नए इलाकों में टैंकरों और बोरवेल के जरिए पानी सप्लाय होता है।
दूसरी ओर, इन आवासीय परियोजनाओं की वजह से पिछले एक दशक में बेंगलुरु का वन क्षेत्र 38 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत से भी कम हो गया है।
पहले शहर में 108 छोटे-मोटे तालाब और झील हुआ करती थी, जो अब कम होकर मात्र 36 ही बची हैं।
कदम
सरकार क्या कदम उठा रही है?
सरकार ने बेंगलुरु में कोई कार धोने, गार्डन में पानी देने या निर्माण कार्य में पाइप से पानी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। ऐसा करने वालों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने टैंकर मालिकों को चेतावनी जारी की है कि अगर वे 7 मार्च तक टैंकरों का पंजीयन नहीं कराते हैं तो उनके टैंकर जब्त कर लिए जाएंगे। सरकार अब दूध के टैंकरों से पानी आपूर्ति करने की योजना बना रही है।
राजनीति
राज्य सरकार ने केंद्र पर लगाया आरोप
लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मामले पर खूब राजनीति भी हो रही है। भाजपा नेता तेजस्वी सूर्या ने कहा है कि अगर अगले एक हफ्ते में जलसंकट सुलझा नहीं तो वह विरोध प्रदर्शन करेंगे।
दूसरी ओर, राज्य की कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया है। कर्नाटक सरकार का कहना है कि उसने केंद्र सरकार से मदद मांगी है, लेकिन राशि जारी नहीं की जा रही है।