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    #NewsBytesExplainer: भारत के लिए G-7 कितना अहम है और क्यों खास होगी प्रधानमंत्री की भागीदारी?
    प्रधानमंत्री मोदी G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने कनाडा जाएंगे (फाइल फोटो)

    #NewsBytesExplainer: भारत के लिए G-7 कितना अहम है और क्यों खास होगी प्रधानमंत्री की भागीदारी?

    लेखन आबिद खान
    Jun 08, 2025
    04:55 pm

    क्या है खबर?

    भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ महीनों से संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं।

    इस बीच एक अहम घटनाक्रम में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है।

    पहले अटकलें थीं कि तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए कनाडा भारत को आमंत्रित नहीं करेगा। प्रधानमंत्री ने पुष्टि की है कि वे सम्मेलन में शामिल होंगे।

    आइए जानते हैं भारते के लिए G-7 कितना अहम है।

    समूह

    सबसे पहले जानिए क्या है G-7

    G-7 यानी ग्रुप ऑफ सेवन। ये दुनिया के 7 सबसे विकसित और अमीर देशों का समूह है।

    वर्तमान में इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।

    G-7 बनने की शुरुआत 1973 में हुई थी। शुरुआत में समूह में 6 देश थे। 1976 में इसमें कनाडा शामिल हुआ और समूह G-7 बन गया। इसके बाद इसमें रूस शामिल हुआ और समूह G-8 बन गया, लेकिन रूस 2014 में इससे अलग हो गया।

    भारत इसका हिस्सा नहीं है।

    अहमियत

    भारत के लिए क्यों अहम है G-7?

    G-7 समूह दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था के 43.4 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, हालिया सालों में इसमें कुछ गिरावट आई है। ये समूह दुनिया की कुल आबादी के 11.1 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व भी करता है।

    इसके अलावा वैश्विक व्यापार पर भी G-7 का दबदबा है। समूह के देशों की दुनिया के कुल आयात में 33.7 प्रतिशत और कुल निर्यात में 28.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

    इस लिहाज से भारत के लिए G-7 अहम है।

    भारत

    G-7 के लिए कितना अहम है भारत?

    भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। वैश्विक व्यापार, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और खास तौर पर हिंद-प्रशांत में शांति को लेकर भारत निर्णायक भूमिका में है।

    अमेरिका कई बार भारत को G-7 का हिस्सा बनाने की वकालत कर चुका है। पश्चिमी देशों के लिए चीन से निपटने के नजरिए से भी भारत G-7 के लिए अहम है।

    यही वजह है कि अब तक 10 बार भारतीय प्रधानमंत्री इसके शिखर सम्मेलन में शामिल हो चुके हैं।

    ऐतिहासिक

    मोदी और कार्नी की पहली मुलाकात

    जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कार्नी प्रधानमंत्री बने हैं। उनकी प्रधानमंत्री मोदी के साथ यह पहली औपचारिक बैठक होगी।

    कार्नी ने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार भारत को एक 'महत्वपूर्ण साझेदार' बताया था। वे भारत के साथ संबंध सुधारने की वकालत भी कर चुके हैं, जो ट्रूडो के कार्यकाल में अपने सबसे खराब दौर में थे।

    दोनों नेताओं की मुलाकात न सिर्फ दोनों देशों, बल्कि वैश्वक कूटनीति के लिहाज से भी अहम मानी जा रही है।

    वजहें

    इन वजहों से भी अहम होगा प्रधानमंत्री का दौरा

    पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद प्रधानमंत्री मोदी का ये पहला विदेश दौरा होगा। इस दौरान वे G-7 में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को बेनकाब कर सकते हैं और वैश्विक मंच पर भारत की नीति को दुनिया के सामने रख सकते हैं।

    टैरिफ को लेकर अमेरिका से चल रहे तनाव के बीच प्रधानमंत्री की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी पहली मुलाकात होगी। बता दें कि दोनों देश व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं।

    एजेंडा

    क्या है शिखर सम्मेलन का एजेंडा?

    इस बार के शिखर सम्मेलन के एजेंडे में वैश्विक शांति और सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और विकास जैसे मुद्दे शामिल हैं।

    दरअसल, हर साल G-7 शिखर सम्मेलन होता है, जिसका आयोजन समूह का अध्यक्ष देश करता है।

    G-7 के सभी 7 देश बारी-बारी से इसकी अध्यक्षता करते हैं। चूंकि, इस साल कनाडा अध्यक्षता कर रहा है, इसलिए शिखर सम्मेलन कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस शहर में 15 से 17 जून तक होगा।111ै1

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