लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लेह से दिल्ली तक क्यों निकाली विरोध पदयात्रा?
लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को सोमवार रात को दिल्ली की सीमा पर दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में ले लिया। वह एक महीने पहले लेह से शुरू हुई 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व करते हुए रात को सिंधु बॉर्डर पहुंचे थे। इस दौरान पुलिस ने उन्हें 120 कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में ले लिया। पुलिस ने यह कार्रवाई दिल्ली में निकाले जाने वाले विरोध मार्च को लेकर की है। इस घटना ने राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया।
वांगचुक ने कार्यकर्ताओं के साथ शुरू किया अनशन
पुलिस ने वांगचुक सहित अन्य कार्यकर्ताओं को बवाना, नरेला औद्योगिक क्षेत्र और अलीपुर सहित विभिन्न पुलिस थानों में रखा है। पुलिस कार्रवाई के विरोध में वांगचुक सहित सभी कार्यकर्ताओं ने थानों में ही अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया है। इधर, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि वांगचुक और उनके कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया है। पुलिस ने उन्हें वापस लौटने के लिए भी कहा था, लेकिन वह नहीं माने।
वांगचुक ने दिल्ली तक क्यों निकाली है पदयात्रा?
जलवायु कार्यकर्ता के अलावा, पेशे से शिक्षक वांगचुक पिछले काफी समय से लद्दाख के प्रशासन की स्वायत्तता से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला है। साल 2019 में उन्होंने लद्दाख को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्र का दर्जा देने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय को पत्र भी लिखा था। अब उन्होंने इसी मांग के साथ लद्दाख को राज्य का दर्जा देने सहित कई अन्य मांगो के समर्थन में 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व किया है।
ABL और KDA ने किया है पदयात्रा का आयोजन
इस पदयात्रा का आयोजन पूर्व सांसद और लेह एपेक्स बॉडी (LBA) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने किया है। उनके साथ क्षेत्र के लोग भी बड़ी संख्या में जुडे हैं। दोनों दल पिछले 4 सालों से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने, उसे छठी अनुसूचि में डालने, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग के साथ शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और लेह और करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
वांगचुक ने भाजपा पर लगाया वादा पूरा न करने का आरोप
पदयात्रा में वांगचुक ने कहा था, "भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव में लद्दाख को छठी अनुसूचि में डालने सहित कई वादे किए थे, लेकिन उन्होंने सत्ता में आने के बाद भी उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया है। भाजपा सरकार को वादे पूरे करने चाहिए।"
जानकारी देने के बाद भी हिरासत में लिया
पदयात्रा के एक प्रतिनिधि ने दावा किया कि वांगचुक और उनके समूह के अन्य सदस्यों ने आधिकारिक अनुमति मांगी थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ईमेल भी किया था, लेकिन उस जानकारी का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के लिए किया गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने 30 महिला कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया है और पुरुषों के साथ रखा है। गिरफ्तारी के बाद वांगचुक को वकीलों से नहीं मिलने दिया।
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद शुरू हुई राजनीति
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद राजनीति शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, "लद्दाख के लोग राज्य का दर्जा चाहते और उसे छठी अनुसूचि में शामिल कराना चाहते हैं। इसके लिए दिल्ली आए वांगचुक को हिरासत में ले लिया गया। मैं उनसे मिले बावना पुलिस थाने गई थी, लेकिन मिलने नहीं दिया। यह भाजपा की तानाशाही है। हम वांगचुक का समर्थन करते हैं।"
आतिशी ने भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, "भाजपा की केंद्र सरकार लोकतंत्र की हत्या करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है और वोट देने का अधिकार भी छीन रही है। वांगचुक की गिरफ्तारी भी भाजपा की तानाशाही को दर्शाती है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "अगर भाजपा की इसी तरह तानाशाही चलती रही तो लद्दाख क्या, दिल्ली को भी पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा। इसके अलावा केंद्र सरकार में भी भाजपा का शासन खत्म हो जाएगा।"
24 घंटे से अधिक समय हिरासत में रखना गलत- वेणुगोपाल
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, "सरकार जिस तरह से काम कर रही है, मैं उसे समझ नहीं पा रहा हूं। वांगचुक लद्दाख के सम्मानित व्यक्ति हैं। उन्होंने लद्दाख से राजघाट तक शांतिपूर्ण मार्च निकाला है और कोई घटना भी नहीं हुई। इसके बाद भी उन्हें हिरासत में लेना गलत है। 24 घंटे से ज्यादा कैसे हिरासत में रख सकते हैं।" उन्होंने कहा, "पुलिस ने वांगचुक के साथ कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया है।"