
#NewsBytesExplainer: ईरान-इजरायल संघर्ष पर क्या है भारत का रुख और दोनों देशों से कैसे हैं संबंध?
क्या है खबर?
शुक्रवार (12 जून) तड़के इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया है। इजरायल ने ईरान के कम से कम 6 परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है, जिसमें कई उच्च सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई है।
इस विवाद ने भारत के लिए एक बार फिर संवेदनशील स्थिति पैदा कर दी है, क्योंकि भारत के दोनों देशों से कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध हैं।
आइए जानते हैं संघर्ष पर भारत का क्या रुख है।
बयान
हालिया संघर्ष पर भारत ने क्या कहा?
भारत ने दोनों देशों के बीच बढ़ने विवाद पर गहरी चिंता जताई है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में दोनों पक्षों से तनाव से बचने का आग्रह किया और संघर्ष को कम करने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने का आह्वान किया।
भारत ने कहा कि वह हालात पर नजर बनाए हुए हैं और हर तरह की संभावित मदद देने को तैयार है।
भारत ने अपने नागरिकों को भी सतर्क रहने को कहा है।
रुख
ईरान-इजरायल संघर्ष पर क्या रहा है भारत का रुख?
भारत हमेशा से इस मामले पर संवेदनशील और संतुलित रुख अपनाता आया है।
पहले के संघर्षों में भारत हमेशा तटस्थ रहते हुए दोनों देशों से तनाव न बढ़ाने की अपील करता रहा है।
इजरायल के साथ रक्षा साझेदारी से लेकर ईरान के साथ ऊर्जा और दूसरी कई परियोजनाओं में भारत की भागीदारी है। इस वजह से भारत हमेशा दोनों देशों से तनाव कम करने और संयम बरतने की अपील करता रहा है।
पिछले मामले
पिछले संघर्षों में कैसी थी भारत की प्रतिक्रिया?
हालिया सालों में ईरान-इजरायल के बीच तनाव बढ़ा है। 2021 के गाजा युद्ध से लेकर पिछले साल हुए मिसाइल हमलों के दौरान भारत का रुख एक-सा रहा है। भारत ने किसी भी पक्ष को आक्रामक बताए बगैर संतुलित रहने की कोशिश की है।
पिछले संघर्षों के दौरान भारत के बयानों में 'हम शत्रुता बढ़ने से चिंतित हैं', 'संयम बरतने का आग्रह करते हैं' और 'कूटनीति और संवाद के रास्ते पर लौटने की जरूरत है' जैसे वाक्यांश देखने को मिले हैं।
भारत
बिना आरोप लगाए निंदा करता रहा है भारत
2012 में दिल्ली में एक इजरायली राजनयिक की कार में बम धमाका हुआ था। इजरायल ने इसका आरोप ईरान पर लगाया। भारत ने घटना की निंदा करते हुए आतंकवादी हमले के तौर पर जांच शुरू की, लेकिन ईरान का नाम लेने से परहेज किया।
2021 के इजरायल-हमास युद्ध में भी भारत ने हमास के रॉकेट हमलों सहित सभी पक्षों की हिंसा की निंदा की, लेकिन इजरायल से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ फिलिस्तीन समाधान का भी आग्रह किया।
नागरिकों
भारत का ध्यान अपने नागरिकों की सुरक्षा पर
किसी भी संघर्ष के दौरान भारत की पहली प्राथमिकता अपने प्रवासी नागरिकों की सुरक्षा रही है। हर संघर्ष में विदेश मंत्रालय ने यात्रा संबंधी सलाह जारी की और दूतावासों ने बयान जारी कर जरूरी जानकारियां दीं।
इस बार भी इजराइल में भारतीय दूतावास ने नागरिकों से सतर्क रहने और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया गया।
वहीं, ईरान स्थित दूतावास ने भी भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने और अनावश्यक गतिविधियों से बचने की अपील की।
संबंध
दोनों देशों के साथ कैसे हैं भारत के संबंध?
भारत के इजरायल के साथ रक्षा, खुफिया और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मजबूत संबंध हैं। इजरायल भारत के शीर्ष रक्षा आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, जो ड्रोन, रडार सिस्टम, मिसाइल और अन्य सैन्य उपकरण प्रदान करता है।
वहीं, भारत ईरान से कच्चे तेल का आयात करता है। ईरान के चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत का अहम समझौता है। यह पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए मध्य एशिया तक भारत की पहुंच के लिए अहम है।