LOADING...
उत्तराखंड में जबरन धर्म परिवर्तन पर सख्ती, विधानसभा में पेश होगा विधेयक; जानिए कानून की खासियत
उत्तराखंड का धर्म परिवर्तन से जुड़ा विधेयक मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा (तस्वीर: एक्स/@pushkardhami)

उत्तराखंड में जबरन धर्म परिवर्तन पर सख्ती, विधानसभा में पेश होगा विधेयक; जानिए कानून की खासियत

लेखन गजेंद्र
Aug 14, 2025
12:41 pm

क्या है खबर?

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली राज्य कैबिनेट ने उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। जबरन धर्म परिवर्तन के लिए सख्त कानूनों की पेशकश करने वाला ये विधेयक अब राज्य विधानसभा में 3 दिवसीय मानसून सत्र के दौरान पेश किया जाएगा, जो 19 अगस्त से शुरू होने वाला है। आइए, जानते हैं कि इस विधेयक की खासियत क्या है और इसमें सजा का प्रावधान कितना कड़ा है?

प्रावधान

उत्तराखंड का नया विधेयक कितना सख्त है?

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, उत्तराखंड में जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर अभी अधिकतम कारावास 10 साल और जुर्माना 50,000 रुपये है। अब नए विधेयक में अधिकतम सजा 14 साल और कुछ मामलों में 20 साल है, जिसे बढ़ाकर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है। विधेयक बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार देता है और जिलाधिकारी धर्मांतरण से संबंधित अपराधों के जरिए अर्जित संपत्तियों को जब्त कर सकता है

धर्मांतरण

अब जमानत मिलनी होगी कठिन

कोई भी अवैध धार्मिक रूपांतरण से संबंधित विदेशी या अन्य संस्थाओं से धन प्राप्त करता है, उसे 7 साल की कठोर कारावास होगी, जो 14 साल तक बढ़ सकती है। जुर्माना 10 लाख रुपये तक देना होगा। विवाह करके धर्म परिवर्तन कराना, मानव तस्करी करना या साजिश रचने पर 20 साल की कारावास, जिसे आजीवन कारावास किया जा सकता है और जुर्माना भी देना होगा। विधेयक सभी अपराधों को गंभीर और गैर-जमानती बनाता है। सुनवाई सत्र न्यायालय में होगी।

जानकारी

जमानत तभी मिलेगी, जब कोर्ट विश्वास करेगा

विधेयक में बिना वारंट के गिरफ्तारी के साथ प्रावधान किया गया है कि इसमें जल्दी जमानत नहीं मिलेगी। कोर्ट भी अगर विश्वास करेगी कि अभियुक्त दोषी नहीं है और वह दोबारा से अपराध नहीं करेगा, तभी उसकी जमानत पर संज्ञान लिया जाएगा।