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क्या है रूसी S-500 वायु रक्षा प्रणाली की खासियत, जिसे खरीदने की तैयारी में है भारत?
भारत कर रहा है रूस से S-500 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने की तैयारी

क्या है रूसी S-500 वायु रक्षा प्रणाली की खासियत, जिसे खरीदने की तैयारी में है भारत?

Dec 03, 2025
02:03 pm

क्या है खबर?

भारत द्वारा साल 2018 में रूस से खरीदी की गई S-400 वायु रक्षा प्रणाली 'ऑपरेशन सिंदूर' में सबसे बड़ी ताकत साबित हुई थी। इसकी मदद से भारत ने पाकिस्तान के 6 लड़ाकू विमान मार गिराए थे। यही कारण है कि भारत अब इसकी और खरीद करने की तैयारी में जुटा है। हालांकि, इस बार भारत S-400 नहीं, बल्कि उसका कहीं ज्यादा उन्नत संस्करण S-500 प्रोमेथियस एयर शील्ड खरीदने पर विचार कर रहा है। आइए इसकी खासियत जानते हैं।

चर्चा

पुतिन की भारत यात्रा के दौरान होगी S-500 पर चर्चा

ब्लूमबर्ग के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर से शुरू हो रही दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली उनकी बैठक में इस उन्नत S-500 मिसाइल रक्षा कवच की खरीद पर चर्चा किया जाना तय है। वर्तमान में चीन और पाकिस्तान दोनों ही देशों से भारत के लिए नए खतरे उभर रहे हैं। ऐसे में भारत वायु रक्षा कवच के अगले स्तर पर विचार कर रहा है। यहीं पर S-500 उपयुक्त बैठता है।

सवाल

क्या है S-500 प्रोमेथियस एयर शील्ड?

रिपोर्ट के अनुसार, S-500 कोई साधारण अपग्रेड नहीं है। यह पूरी तरह नई पीढ़ी की तकनीक है, जिसे रूस अपने सबसे उन्नत मिसाइल रक्षा लाइन मानता है। यह एक विशाल अदृश्य कवच है जो दुश्मन के विमानों या ड्रोन जैसे हवाई खतरों को दूर से ही मिसाइल दागकर उन्हें मार सकता है। इस तकनीक के लिए भारत और रूस सह निर्माण मॉडल पर चर्चा कर रहे हैं। ऐसे में इसके कुछ हिस्से भारत में ही तैयार किया जा सकते हैं।

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खासियत

क्या है S-500 की खासियत?

रूस की अल्माज-एंटे द्वारा निर्मित S-500 एक अधिक उन्नत वायु रक्षा कवच है जो कहीं अधिक ऊंचाई तक पहुंच सकती है और S-400 की तुलना में इसकी मारक क्षमता अधिक है। इसे विशेष रूप से 21वीं सदी के सबसे कठिन खतरों जैसे- उन्नत बैलिस्टिक मिसाइलों, हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहनों और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह निम्न-कक्षा वाले उपग्रहों या अंतरिक्ष से प्रक्षेपित होने वाले खतरों को भी नष्ट करने में सक्षम है।

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क्षमता

कितनी है S-500 की मारक क्षमता?

S-400 जहां 400 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों को मार सकती है, वहीं S-500 की क्षमता 600 किलोमीटर है। यह एक साथ जेट गति से उड़ रहे 10 बैलिस्टिक सुपरसोनिक टर्मिनल ICBM वारहेड्स का मुकाबला कर सकती है। असली सुधार इसकी ऊंचाई तक पहुंचने की क्षमता में किया गया है। S-400 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित लक्ष्यों को भेद सकता हैं, लेकिन S-500 की क्षमता 200 किलोमीटर (अंतरिक्ष में परिक्रमा करने वाले उपग्रह का छोर) है।

रडार

S-500 को सबसे अलग बनाने वाली खासियत क्या है?

S-500 प्रोमेथियस को जो चीज सबसे अलग बनाती है, वह है इसकी मिसाइलों और रडार नेटवर्क का उन्नत संस्करण। यह प्रणाली दो प्रकार के इंटरसेप्टर पर निर्भर करती है। पहली मिसाइल उन्नत 40N6M है, जो वायुमंडल के बाहर यानी अंतरिक्ष की शुरुआत तक जेट या ड्रोन को मार सकती है। मिसाइलों का दूसरा सेट 77N6-N और 77N6-N1 है, जिनमें हिट-टू-किल की क्षमता है। यानी यह आने वाले खतरों पर पर हमला कर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है।

मिसाइल

गैलियम नाइट्राइड तकनीक पर आधारित हैं S-500 में लगी मिसाइलें

S-500 में लगी मिसाइलों को गैलियम नाइट्राइड (GaN) तकनीक पर आधारित नई पीढ़ी के रडारों का समर्थन प्राप्त है। सीधे शब्दों में कहें तो, इन रडारों की रेंज ज़्यादा है, ट्रैकिंग तेज है और S-400 की तुलना में इनकी जैमिंग प्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा बेहतर है। इसके अलावा, एक S-500 एयर शील्ड यूनिट में एक दर्जन लॉन्चर, कमांड पोस्ट और 3 उच्च-प्रदर्शन वाले रडार शामिल हो सकते हैं। ऐसे में इसे सुरक्षा का परमाणु कहा जा सकता है।

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