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#NewsBytesExplainer: क्या है अमेरिका की 'पैक्स सिलिका' पहल और इसमें भारत को क्यों नहीं मिली जगह?
अमेरिका ने पैक्स सिलिका नामक नई पहल शुरू की है, जिसमें भारत शामिल नहीं है

#NewsBytesExplainer: क्या है अमेरिका की 'पैक्स सिलिका' पहल और इसमें भारत को क्यों नहीं मिली जगह?

लेखन आबिद खान
Dec 13, 2025
05:41 pm

क्या है खबर?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर फिर एक विवादित कदम उठाया है। हाल ही में उन्होंने पैक्स सिलिका नामक एक रणनीतिक पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य सुरक्षित सिलिकॉन सप्लाय चेन को विकसित करना है। इस पहल में जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसमें भारत को जगह नहीं मिलने पर राजनीति हो रही है। आइए मामला समझते हैं।

पहल

क्या है 'पैक्स सिलिका' पहल?

अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, पैक्स सिलिका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा का प्रमुख प्रयास है। इसे आधुनिक AI को शक्ति प्रदान करने वाली प्रौद्योगिकी प्रणाली को सुरक्षित करने वाले ढांचे के रूप में बताया गया है, जिसमें महत्वपूर्ण खनिज और ऊर्जा से लेकर विनिर्माण, सेमीकंडक्टर, AI अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। AI वैल्यू चेन, चिप निर्माण, रक्षा-संबंधी तकनीक और विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स के तौर पर पहचान बना चुके देशों को इसमें जगह मिली है।

उद्देश्य

क्या है 'पैक्स सिलिका' पहल का उद्देश्य?

ये पहल एक रणनीतिक योजना है, जिसका लक्ष्य सुरक्षित, समृद्ध और नवाचार-संचालित सिलिकॉन सप्लाई चेन का निर्माण करना है। पहल के मोटे-मोटे 3 अहम उद्देश्य हैं- महत्वपूर्ण तकनीकी इनपुट और विनिर्माण के लिए चीन पर निर्भरता कम करना, AI और उन्नत कंप्यूटिंग के लिए आवश्यक सामग्री और क्षमताओं को सुरक्षित करना और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए विश्वसनीय साझेदारों को एकजुट करना। इसके साथ ही भरोसेमंद सहयोगियों के साथ सहयोग मजबूत करना भी इसका उद्देश्य है।

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देश

पहल में इन देशों को क्यों मिली जगह?

पहले पैक्स सिलिका शिखर सम्मेलन में जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, ब्रिटेन, इजराइल, UAE और ऑस्ट्रेलिया को बुलाया गया है। अमेरिका के अनुसार, ये देश उन कंपनियों और निवेशकों का घर हैं जो आज की ग्लोबल AI और सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को सबसे ज्यादा शक्ति देते हैं। यानी यह गठबंधन भविष्य की तकनीक पर काम करने वाले देशों का एक क्लब जैसा है। समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, इस पहल में अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं के भी शामिल होने की उम्मीद है।

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भारत

भारत को क्यों नहीं मिली जगह?

विशेषज्ञों के अनुसार, इस पहल में वे देश हैं, जिनके पास अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है। भारत के पास अभी हाई-एंड सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, उन्नत AI हार्डवेयर या महत्वपूर्ण चिप निर्माण उपकरण फिलहाल नहीं है। इसके अलावा भारत के पास दुर्लभ खनिजों की कमी भी इसकी वजह बताई जाती है, जो सेमीकंडक्टर चिप बनाने के लिए बेहद अहम है। फिलहाल ऐसे देशों को प्राथमिकता दी जा रही है, जहां ये खनिज आसानी से उपलब्ध हों और सुरक्षित सप्लाय किए जा सकें।

कांग्रेस

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने लिखा, 'अमेरिका ने AI और उच्च तकनीक वाली सप्लाई चैन पर चीन के नियंत्रण कम करने के लिए एक समझौता किया है। उन्होंने भारत को इससे बाहर रखा है। 10 मई, 2025 के बाद से डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के संबंधों में आई तीव्र गिरावट को देखते हुए यह शायद आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत को इसमें शामिल क्यों नहीं किया गया।'

भारत की पहल

भारत क्या कर रहा है?

भारत UAE, सिंगापुर और जापान जैसे देशों के साथ तकनीकी क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौते कर रहा है और सेमीकंडक्टर और खनिज सप्लाय चेन को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने 7,280 करोड़ रुपये की दुर्लभ खनिज योजना को मंजूरी दी है। अगस्त में भारत ने चीन से दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति बहाल करने को लेकर समझौता किया था। हाल ही में अमेजन ने भारत में AI के क्षेत्र में अरबों का निवेश करने की घोषणा की है।

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