क्या है CAG और उनकी शक्तियां? जानिए नियुक्ति की प्रक्रिया और उनके कार्य
क्या है खबर?
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार (25 फरवरी) को विधानसभा सत्र के पहले दिन नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के प्रदर्शन पर 14 लंबित रिपोर्ट पेश कीं।
इसमें एक रिपोर्ट रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 पर भी थी, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि इससे सरकार को 2,002 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है।
ऐसे में आइए जानते हैं क्या है CAG और उन्हें कितनी शक्तियां मिली हुई है।
नियुक्ति
क्या है CAG और कैसे होती है उनकी नियुक्ति?
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को CAG कहा जाता है। भारतीय संविधान के भाग 5 में अनुच्छेद 148 से 151 तक CAG की नियुक्ति, कर्तव्यों और लेखापरीक्षा रिपोर्ट का उल्लेख है।
इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और कार्यकाल 6 साल या 65 साल की उम्र (जो भी पहले हो) होता है।
वर्तमान में CAG का पदभार के संजय मूर्ति संभाल रहे हैं, जिन्होंने 21 नवंबर, 2024 को शपथ ग्रहण करते हुए यह जिम्मेदारी संभाली थी।
जानकारी
क्या है CAG को हटाने की प्रकिया?
CAG को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की तरह संसद के दोनों सदनों से विशेष बहुमत के साथ प्रस्ताव पारित करना जरूरी है। यह व्यवस्था CAG की स्वतंत्रता सुनिश्चित करती है, ताकि वह बिना दबाव वित्तीय गतिविधियों पर नजर रख सके।
शक्तियां
CAG की शक्तियां और कर्तव्य क्या हैं?
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971, CAG की सेवा शर्तों और उनके कार्यालय के कर्तव्यों के साथ शक्तियों को निर्धारित करता है।
कई अन्य कानून CAG को शक्तियां प्रदान करते हैं। उदाहरण के तौर पर राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 कहता है कि केंद्र सरकार CAG को समय-समय पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन की समीक्षा का काम सौंप सकती है और उन समीक्षाओं को संसद में पेश किया जाएगा।
जानकारी
CAG ये भी करते हैं कार्य
केंद्र और राज्य सरकारों की ऑडिट करने के अलावा CAG राज्य सरकार के खातों का रखरखाव भी करते हैं। वह राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पेंशन प्राधिकरण देने के साथ कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि खातों का रखरखाव भी करते हैं।
ऑडिट
CAG द्वारा की जाने वाले विभिन्न प्रकार की ऑडिट क्या हैं?
CAG तीन प्रकार की ऑडिट (लेखापरीक्षाएं) करते हैं, जिनमें अनुपालन, निष्पादन और वित्तीय लेखापरीक्षा शामिल है।
अनुपालन में वह देखते हैं कि लागू कानूनों, नियमों और विनियमों के प्रावधानों तथा सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी विभिन्न आदेशों और निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं।
निष्पादन में योजनाओं या कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का आकलन किया जाता है, जबकि वित्तीय ऑडिट में सरकार के खातों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के खातों का प्रमाणन होता है।
विषय
CAG ऑडिट विषयों का चयन कैसे करते हैं?
CAG किसी विषय को अंतिम रूप देने से पहले जोखिम मूल्यांकन प्रक्रिया का पालन करते हैं, जिसमें परियोजना के परिव्यय का आकार, मामले की मीडिया कवरेज और निरीक्षण रिपोर्ट शामिल होती है।
वह सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय संगठन या INTOSAI द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों से भी परामर्श करते हैं, जो बताते हैं कि नागरिकों के लिए क्या प्रासंगिक है।
इन मानदंडों के आधार पर CAG कार्यालय वार्षिक ऑडिट योजना मंजूर करता है जिसे क्षेत्रीय कार्यालयों में लागू किया जाता है।
जानकारी
ऑडिट सलाहकार बोर्ड भी देता है सुझाव
CAG के लिए नियुक्त ऑडिट सलाहकार बोर्ड साल में 2 बार बैठक कर ऑडिट के लिए विषयों का सुझाव देता है। सरकार और अदालतें भी सिफारिश कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने CAG को दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (DND) फ्लाईओवर परियोजना की ऑडिट का आदेश दिया था।
संविधान
CAG रिपोर्ट पेश करने के बारे में क्या कहता है संविधान?
अनुच्छेद 151 में संसद या राज्य विधानसभाओं में CAG रिपोर्ट रखने का प्रावधान है, लेकिन इसकी कोई समय सीमा नहीं है।
यही वजह है कि सरकारें अक्सर CAG ऑडिट रिपोर्ट समय पर नहीं रख पाती हैं।
पिछली दिल्ली सरकार ने विधानसभा में करीब एक दर्जन CAG रिपोर्ट पेश नहीं की थीं, जबकि उनमें से कुछ 4 साल पहले उपराज्यपाल को पेश की गई थीं।
पश्चिम बंगाल सरकार ने भी विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश करने में देरी की थी।
सार्वजनिक
कब सार्वजनिक की जा सकती है CAG की रिपोर्ट?
CAG की रिपोर्ट सदन में रखे जाने के बाद ही सार्वजनिक होती है। लोक लेखा समिति चयनित रिपोर्टों की जांच करती है और सरकार से जवाब मांगती है।
लोक लेखा समिति (PAC) सरकार से सिफारिशों पर कार्रवाई करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहती है।
साल 2019 से लेकर पिछले साल जुलाई तक PAC ने लोकसभा को 152 रिपोर्ट सौंपी हैं। इनमें CAG ऑडिट रिपोर्ट की जांच और उन पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई शामिल है।
प्रभाव
CAG की रिपोर्ट का क्या होता है असर?
ऑडिट रिपोर्ट में सरकारी खजाने को हुए नुकसान और प्रक्रियागत नुकसानों पर प्रकाश डाला जाता है। उसमें नियमों और प्रक्रियाओं को बदलने में अहम भूमिका निभाने वाली सिफारिश भी होती है।
नवंबर 2010 में 2G स्पेक्ट्रम के लाइसेंस और आवंटन पर तैयार रिपोर्ट का बड़ा असर देखने को मिला था।
इस रिपोर्ट ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया था और आखिरकार 2014 में उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा था।