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#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के प्रतिबंधों में छूट खत्म की, भारत को कितना बड़ा झटका?
अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत को बड़ा झटका दिया है

#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के प्रतिबंधों में छूट खत्म की, भारत को कितना बड़ा झटका?

लेखन आबिद खान
Sep 19, 2025
11:59 am

क्या है खबर?

भारत और अमेरिका के बीच तनातनी कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब अमेरिका ने एक और विवादित कदम में ईरान के चाबहार बंदरगाह को दी गई खास छूट खत्म करने का ऐलान किया है। यह भारत के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि भारत ने इस बंदरगाह को 10 साल के लिए लीज पर ले रखा है और भारी-भरकम पैसे लगाकर इसे विकसित भी कर रहा है। आइए जानते हैं इस कदम का क्या असर होगा।

फैसला

अमेरिका ने क्यों लिया फैसला?

अमेरिका ने कहा कि प्रतिबंधों में छूट देने वाले 2018 के आदेश को रद्द किया जाता है। अमेरिका ने बताया कि यह फैसला ईरान को अलग-थलग करने के लिए अधिकतम दबाव डालने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति के अनुरूप है। दरअसल, 2018 में अमेरिका ने चाबहार को अफगानिस्तान की मदद और विकास के लिए छूट दी थी। अमेरिका का कहना है कि अब अफगानिस्तान में तालिबानी शासन है और बंदरगाह के निर्बाध संचालन से ईरान फायदा उठा रहा है।

मायने

छूट खत्म होने के क्या मायने हैं?

छूट खत्म होने का मतलब है कि इस बंदरगाह का इस्तेमाल करने वालों पर अमेरिका प्रतिबंध या जुर्माना लगा सकता है। अमेरिका ने कहा है कि नया आदेश 29 सितंबर से लागू होगा। इसके बाद जो लोग बंदरगाह को चलाने, पैसे देने या उससे जुड़े किसी काम में शामिल होंगे, वे अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में होंगे। उन पर अमेरिका जुर्माना लगा सकता है। यानी अमेरिका ने केवल 10 दिनों की मोहलत दी है।

भारत

भारत के लिए ये कितना बड़ा झटका?

चाबहार बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। भारत ने 2024 में चाबहार को 10 साल के लिए लीज पर लिया है। इसके तहत भारत यहां करीब 1,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा और 2,200 करोड़ रुपये का कर्ज देगा। चाबहार के जरिए भारत अफगानिस्तान, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से सीधे व्यापार करता है। पहले इन देशों तक पहुंच के लिए भारत को पाकिस्तान से गुजरना पड़ता था।

अहमियत

भारत के लिए कई मायनों में बेहद अहम है चाबहार बंदरगाह

भारत की महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) लिए भी चाबहार बेहद अहम है। INSTC 7,200 किलोमीटर लंबी मल्टी-मोड ट्रांसपोर्ट परियोजना है, जिससे भारत की सीधी पहुंच ईरान, अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप तक हो जाएगी। इससे न सिर्फ भारत की यूरोप तक पहुंच आसान होगी, बल्कि माल भेजने में लगने वाला समय भी एक-तिहाई कम हो जाएगा। चाबहार चीन की अरब सागर में मौजूदगी के लिहाज से भी भारत के लिए बेहद अहम है।

विशेषज्ञ

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

रणनीतिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने लिखा, 'यह बंदरगाह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए भारत का व्यापारिक प्रवेश-द्वार है और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का रणनीतिक जवाब भी। भारत को उस समय दंडित किया जा रहा है, जब वह चीन के प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप की 'अधिकतम दबाव' नीति का नतीजा यही रहा है कि फायदा चीन को मिलता है और कीमत भारत को चुकानी पड़ती है।'

बातचीत

बंदरगाह को लेकर भारत-ईरान में कब क्या हुआ?

चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत और ईरान के बीच 2003 से बातचीत चल रही है। 2003 में ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति मुहम्मद खतामी ने भारत यात्रा की थी। इस दौरान समझौते पर सहमति बनी थी। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान का दौरा किया था। तब समझौते को मंजूरी मिली थी। 2019 में पहली बार इस बंदरगाह का इस्तेमाल करते हुए अफगानिस्तान से माल पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए भारत आया था।

बंदरगाह

अंत में चाबहार बंदरगाह के बारे में जानिए

चाबहार ईरान का एक तटीय शहर है, जो दक्षिण-पूर्व में मौजूद दूसरे सबसे बड़े प्रांत सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा हुआ है। यहां एक गहरे पानी का बंदरगाह है, जो ईरान का इकलौता और भारत के सबसे नजदीक खुले समुद्र में स्थित है। यह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है, जिसकी समुद्र तक सीधी पहुंच है। इसी वजह से ये मालवाहक जहाजों के लिए आसान और सुरक्षित पहुंच प्रदान करता है।