UPSC सख्त करेगा परीक्षा प्रणाली; AI कैमरे, फेशियल रिकग्निशन और आधार फिंगरप्रिंट से रोकेगा धोखाधड़ी
IAS पूजा खेडकर और राष्ट्रीय प्रवेश-सह पात्रता परीक्षा (NEET) पर मचे घमासान के बीच संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अपनी परीक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। परीक्षाओं में धोखाधड़ी और उम्मीदवार की जगह किसी दूसरे द्वारा परीक्षा देने जैसे मामलों को रोकने के लिए UPSC आधार-आधारित फिंगरप्रिंट, फेशियल रिकग्निशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस कैमरे जैसे तकनीकी उपायों पर विचार कर रहा है।
किन उपायों पर विचार कर रहा UPSC?
रिपोर्ट के मुताबिक, UPSC जिन परीक्षाओं का आयोजित करता है, उनमें तकनीकी सेवाएं प्रदान करने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों से बोलियां आमंत्रित की गई हैं। आयोग द्वारा इस संबंध में जारी की गई निविदा में आधार-आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण या डिजिटल फिंगरप्रिंट कैप्चरिंग, उम्मीदवारों की चेहरे की पहचान, ई-प्रवेश पत्रों की QR कोड स्कैनिंग और AI आधारित CCTV कैमरों द्वारा निगरानी शामिल हैं। इसके अलावा सेवा प्रदाता को पर्याप्त मानव संसाधन भी देने होंगे।
UPSC ने क्यों लिया ये फैसला?
UPSC ने कहा कि वो परीक्षा कार्यक्रम, परीक्षा केंद्रों की सूची और उम्मीदवारों की संख्या जैसी जानकारी सेवा प्रदाता को परीक्षा से 2-3 सप्ताह पहले मुहैया कराएगा, ताकि तैयारी की जा सके। फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण और चेहरे की पहचान में उपयोग के लिए परीक्षा से 7 दिन पहले अभ्यर्थियों का विवरण (नाम, रोल नंबर, फोटो आदि) भी प्रदान करेगा। UPSC का कहना है कि वो ये कदम धोखाधड़ी, जालसाजी, अनुचित साधन और प्रतिरूपण को रोकने के लिए उठा रहा है।
क्या है IAS पूजा खेडकर को लेकर विवाद?
महाराष्ट्र कैडर की IAS अधिकारी पूजा खेडकर कई वजहों से विवादों में हैं। ट्रेनिंग के दौरान कार, आवास और अलग कमरे की मांग कर वे सुर्खियों में आई थीं। बाद में खुलासा हुआ कि उन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र भी बनवाएं हैं। ये भी पता चला कि करोड़ों रुपये की संपत्ति होने के बावजूद उन्होंने पिछड़ा वर्ग नॉन क्रीमी लेयर श्रेणी में परीक्षा दी। विवादों के बाद उनकी ट्रेनिंग रद्द कर दी गई हैं और फिलहाल वे लापता हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
UPSC की स्थापना 1 अक्टूबर, 1926 को हुई थी, जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। ये भारत की केंद्रीय एजेंसी है और इसे संवैधानिक दर्जा मिला हुआ है। ये सरकारी सेवाओं में भर्ती करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा (CSE) जैसी परीक्षा आयोजित करती है। UPSC द्वारा हर साल आयोजित 24 विभिन्न परीक्षाओं में करीब 26 लाख उम्मीदवार शामिल होते हैं। इनमें सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में करीब 10 लाख उम्मीदवार बैठते हैं।