UPA की मनरेगा योजना का नाम बदलेगी केंद्र सरकार? महात्मा गांधी की जगह लगेगा ये नाम
क्या है खबर?
भाजपा के नेतृत्व वाली मौजूदा केंद्र सरकार कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) यानी मनरेगा का नाम बदल सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट इसका नाम बदलकर 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक 2005' कर सकता है। कैबिनेट की बैठक शुक्रवार 12 दिसंबर को प्रस्तावित है, जिसमें ग्रामीण विकास मंत्रालय नाम बदलने का प्रस्ताव लाया है।
योजना
क्या है मनरेगा योजना?
मनरेगा को कांग्रेस अपने समय की सबसे महत्वपूर्ण और ग्रामीणों का जीवन बदलने वाली योजना मानती है। इसे 2005 में 2 अक्टूबर पर गांधी जयंती से लागू किया गया था। पहले इसका नाम राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी नरेगा था, लेकिन 2009 में इसमें महात्मा गांधी जोड़कर मनरेगा किया गया। विश्व बैंक ने 2014 में इस योजना की तारीफ की थी और ग्रामीण विकास का उत्कृष्ठ उदाहरण बताया था। यह 7 करोड़ जॉब कार्ड धारकों को लाभ देती है।
इतिहास
कोरोना महामारी के समय योजना में किया था कमाल
योजना के अंतर्गत ग्रामीण अकुशल श्रमिकोंं को 100 दिन का रोजगार दिया जाता है और उसके लिए उसे निश्चित पारिश्रमिक मिलता है। जिससे यह पारदर्शिता, सामाजिक लेखापरीक्षा और समय पर वेतन भुगतान के प्रावधानों द्वारा समर्थित एक अधिकार-आधारित कार्यक्रम बन जाता है। कोरोना महामारी के समय जब अधिकतर प्रवासी मजदूर अपना काम-धंधा छोडकर घर लौट रहे थे, तब इस योजना ने रिकॉर्ड बनाया था। उस समय काम की मांग में भारी वृद्धि हुई थी और बेरोजगारों को काम मिला था।
कैबिनेट
कैबिनेट में इन प्रस्तावों पर भी होगी चर्चा
कैबिनेट बैठक में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सतत परमाणु ऊर्जा दोहन और विकास से जुड़े परमाणु ऊर्जा विधेयक (शांति विधेयक 2025) को मंजूरी मिल सकती है। मौजूदा बीमा कानूनों में संशोधन के लिए बीमा क्षेत्र विधेयक (सबका बीमा, सबकी रक्षा विधेयक 2025), प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक 2025 और शिक्षा नीति के आधुनिकीकरण के लिए प्रस्तावित सुधारों के लिए शिक्षा विधेयक (विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025) को भी मंजूरी मिल सकती है।