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खांसी की दवा से बच्चों की मौत: राजस्थान में औषधि नियंत्रक निलंबित, मध्यप्रदेश-तमिलनाडु ने लगाया प्रतिबंध
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद कई राज्यों ने कदम उठाए है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खांसी की दवा से बच्चों की मौत: राजस्थान में औषधि नियंत्रक निलंबित, मध्यप्रदेश-तमिलनाडु ने लगाया प्रतिबंध

लेखन आबिद खान
Oct 04, 2025
11:40 am

क्या है खबर?

मध्य प्रदेश और राजस्थान में खांसी की दवा (कफ सिरप) से बच्चों की मौत का मामला गंभीर होता जा रहा है। मध्य प्रदेश में अब तक 9 और राजस्थान में 2 बच्चों की मौत हो गई है। इसके बाद राजस्थान ने राज्य औषधि नियंत्रक को निलंबित कर दिया है। वहीं, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश ने गड़बड़ी वाले कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार ने भी दिशानिर्देश जारी किए हैं।

राजस्थान

राजस्थान में कंपनी की सभी दवाओं पर लगा प्रतिबंध 

राजस्थान सरकार ने औषधि नियंत्रक को निलंबित करते हुए 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप बनाने वाली कंपनी केसंस फार्मा की सभी दवाओं के वितरण पर रोक लगा दी है। अधिकारियों ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने केसन्स फार्मा द्वारा निर्मित सभी 19 दवाओं की आपूर्ति अगले आदेश तक बैन कर दी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है।

तमिलनाडु

तमिलनाडु ने दवा की बिक्री पर रोक लगाई

बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु सरकार ने 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी है। साथ ही इसे बाजार से हटाने के आदेश दिए गए हैं। तमिलनाडु के खाद्य सुरक्षा विभाग ने बताया कि 1 अक्टूबर से राज्य में सिरप का निर्माण और बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। अधिकारियों ने कांचीपुरम के उत्पादन प्लांट का निरीक्षण कर सैंपल इकट्ठे किए हैं। इनका सरकारी लैबोरेटरी में परीक्षण किया जाएगा।

सरकार

सरकार ने कहा- 2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न दें

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दी जाएं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप में जहरीला रसायन नहीं मिला है। मंत्रालय ने कहा कि आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए। इससे बड़े बच्चों को कफ सिरप देने से पहले डॉक्टर को सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए।

बयान

मोहन यादव बोले- दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लिखा, 'छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्य प्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य उत्पादों की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है। राज्य स्तर पर भी इस मामले में जांच के लिए टीम बनाई गई है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।'

रिपोर्ट

सिरप में नहीं मिला कोई हानिकारक रसायन- रिपोर्ट

मंत्रालय ने बताया कि नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) सहित अन्य एजेंसियों ने कफ सिरप, ब्लड और अन्य जांच की थी। NIV पुणे की जांच में एक सैंपल में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की पुष्टि हुई है। मध्य प्रदेश के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने 3 नमूनों की जांच की थी, जिनमें हानिकारक रसायन नहीं मिला है। हालांकि, मध्य प्रदेश में 9 सैंपल की रिपोर्ट आना अभी बाकी है।

मध्य प्रदेश

क्या है मामला?

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया में पिछले एक महीने में 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। पहला संदिग्ध मामला 22 अगस्त को सामने आया, जबकि पहली मौत 4 सितंबर को हुई थी। बच्चों को शुरुआत में बुखार और सर्दी-खांसी जैसे सामान्य लक्षण थे, लेकिन धीरे-धीरे पेशाब करने में परेशानी होने लगी और किडनी फेल हो गई। इन बच्चों को कफ सिरप दिया गया था, जिसमें डायएथिलीन ग्लायकॉल नामक रसायन की गड़बड़ी की बात सामने आई थी।

प्लस

न्यूजबाइट्स प्लस

डायएथिलीन ग्लायकॉल एक औद्योगिक सॉल्वेंट है, जिसका इस्तेमाल पेंट, स्याही, रंग और वाहनों के कूलेंट में किया जाता है। इसे मामूली मात्रा में कफ सिरप में मिलाया जाता है, ताकि ये पतला और मीठा हो जाए। हालांकि, ज्यादा मात्रा होने पर ये डाइग्लाइकोलिक एसिड में बदल जाता है और शरीर के लिए जहर की तरह काम करता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, दिल पर असर डालता है और किडनी को भारी नुकसान पहुंचाता है।