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नकदी मामले में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को नहीं मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका खारिज

नकदी मामले में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को नहीं मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की

लेखन गजेंद्र
Aug 07, 2025
10:56 am

क्या है खबर?

दिल्ली के सरकारी आवास से बेहिसाब नकदी मिलने के मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशंवत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एजी मसीह की पीठ ने गुरुवार को न्यायमूर्ति वर्मा की उस याचिका का खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आंतरिक जांच रिपोर्ट को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की आंतरिक जांच रिपोर्ट में न्यायमूर्ति वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश की गई है, जिसका वर्मा ने विरोध किया था।

सुनवाई

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि घटना की जांच के लिए आंतरिक समिति का गठन और उसके द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया अवैध नहीं थी। कोर्ट ने कहा, "मुख्य न्यायाधीश और आंतरिक समिति ने फोटो और वीडियो अपलोड करने के अलावा पूरी प्रक्रिया का ईमानदारी से पालन किया था। हालांकि, इसकी आवश्यकता नहीं थी। लेकिन इसपर कोई फैसला नहीं हुआ क्योंकि आपने इसे तब चुनौती नहीं दिया था। मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजना असंवैधानिक नहीं था।"

चुनौती

न्यायमूर्ति वर्मा ने याचिका में क्या कहा था?

बार और बेंच के मुताबिक, न्यायमूर्ति वर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने उन्हें न्यायाधीश पद से हटाने की सिफारिश की है, जिसे असंवैधानिक और 'उनके अधिकार के बाहर' घोषित किया जाए। वर्मा ने जांच रिपोर्ट को चुनौती देते हुए कहा कि उनके खिलाफ आंतरिक जांच बिना किसी औपचारिक शिकायत के शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि समिति ने उन्हें जवाब देने का उचित अवसर नहीं दिया और निष्कर्ष निकाल लिया था।

विवाद

क्या है नकदी मिलने का मामला?

दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लग गई थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा शहर में नहीं थे। उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद टीम को घर से भारी मात्रा में नकदी मिली थी। इसकी जानकारी तत्कालीन CJI संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया। इसके बाद जांच समिति गठित हुई थी।

समिति

समिति ने अपनी रिपोर्ट में न्यायमूर्ति वर्मा को बताया था दोषी

सुप्रीम की ओर से गठित समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे समिति का गठन 22 मार्च को हुआ था, जिसने 3 मई को अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को सौंपी थी। समिति ने रिपोर्ट में न्यायमूर्ति वर्मा को दोषी बताया ठहराया था और इस्तीफे का विकल्प दिया था।