सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों का बना रिकॉर्ड, संख्या 83,000 के करीब पहुंची
सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या पूरी होने के बाद भी लंबित मामलों की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले अब 83,000 के करीब पहुंच गए हैं, जो अब तक के सबसे अधिक हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, लंबित मामले पिछले 10 साल में 8 गुना बढ़े हैं। हालांकि, केवल 2 बार ऐसी स्थिति भी आई, जब मामले घट गए थे।
न्यायाधीशों की संख्या बढ़ी और लंबित मामले भी बढ़ते गए
वर्ष 2009 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 26 से बढ़ाकर 31 की गई, लेकिन उसके बाद भी लंबित मामले घटे नहीं। वर्ष 2013 में लंबित मामले 55,000 से बढ़कर 66,000 हो गई। 2014 में मुख्य न्यायाधीश (CJI) पी सदाशिवम और आरएम लोढ़ा के कार्यकाल के दौरान लंबित मामले घटकर 63,000 रह गए थे। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तु के कार्यकाल के दौरान 2015 में इसे घटाकर 59,000 पर लाया गया।
2015 के बाद फिर बढ़ने लगे मामले
2015 के बाद मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के कार्यकाल में एक बार फिर लंबित मामले बढ़ने लगे और यह 63,000 पर पहुंच गए। इसके बाद देश के पहले सिख मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने केस प्रबंधन प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से लंबित मामलों को घटाकर 56,000 कर दिया। 2018 में CJI दीपक मिश्रा के कार्यकाल में लंबित मामले 57,000 हो गए। CJI रंजन गोगोई के समय न्यायाधीश 31 से 34 हुए, लेकिन लंबित मामले भी 60,000 हो गए।
कोरोना काल में रुकी कोर्ट की कार्यवाही
कोरोना काल के समय न्यायमूर्ति एसए बोबडे मुख्य न्यायाधीश थे। उस दौरान कोर्ट बंद थी और ऑनलाइन सुनवाई चल रही थी। इस दौरान लंबित मामले बढ़कर 65,000 पहुंच गए। 2021-22 में CJI एनवी रमना के समय लंबित मामले 70,000 पहुंचे और 2022 के अंत तक यह 79,000 हो गए। इस दौरान रमना के सेवानिवृत्त होने के बाद यूयू ललित CJI बने थे और उनके बाद डीवाई चंद्रचूड़ आए। अब पिछले 2 साल में लंबित मामले 83,000 के करीब हैं।