
सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास को लेकर कहा- उम्रकैद मतलब हमेशा मृत्यु तक कारावास नहीं होता
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड के मामले में आजीवन कारावास को लेकर बड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आजीवन कारावास का मतलब हमेशा मृत्यु तक कारावास नहीं होता है। कोर्ट ने कहा कि निश्चित अवधि के आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी को निर्धारित अवधि पूरी होने के बाद रिहा किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी हत्याकांड के दोषी सुखदेव यादव को तत्काल रिहा करने का आदेश देते हुए की।
सुनवाई
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, "जिन मामलों में कोर्ट निश्चित अवधि के लिए आजीवन कारावास देती हैं, उनमें दोषियों को निर्धारित अवधि पूरा करने के बाद रिहा करना चाहिए, इसके लिए छूट आदेश की जरूरत नहीं।" पीठ ने यादव उर्फ पहलवान को मार्च में सजा समाप्त होने के बाद भी जेल में रखने के लिए अधिकारियों की खिंचाई की। पीठ ने कहा, "अगर यही रवैया जारी रहा तो हर दोषी जेल में ही मर जाएगा।"
जानकारी
कोर्ट ने सरकारों को भी दिया निर्देश
सु्प्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे दोषियों की पहचान कर उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया, बशर्ते वे अन्य मामलों में वांछित न हों। यह आदेश सभी गृह सचिवों और विधिक सेवा प्राधिकरणों को भेजा जाएगा।
घटना
क्या है मामला?
नीतीश कटारा (25) एक बिजनेस एक्जीक्यूटिव थे, जो उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली नेता डीपी यादव की बेटी भारती यादव से प्रेम करते थे। उनको 17 फरवरी, 2002 को भारती के भाई विकास यादव और विशाल यादव ने अगवा कर लिया और गाजियाबाद में हत्या कर जला दिया। सुखदेव यादव इसमें मिले थे। मई 2008 को निचली कोर्ट ने तीनों को उम्रकैद दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2014 में विशाल-विकास को 25-25 साल और सुखदेव को 20 साल की सजा दी।