LOADING...
क्या होती है ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश? पहली बार जयपुर में होगी 
जयपुर में आज ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश होगी (तस्वीर: पिक्साबे)

क्या होती है ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश? पहली बार जयपुर में होगी 

Aug 12, 2025
02:03 pm

क्या है खबर?

राजस्थान में मंगलवार को भारत का पहला ड्रोन-आधारित क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश का प्रयोग आयोजित किया जा रहा है। इसमें ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। यह जयपुर के रामगढ़ बांध के पास छोटे से इलाके में होगी। कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा दोपहर 2 बजे इस कार्यक्रम का आधिकारिक उद्घाटन करेंगे। पूर्व में 31 जुलाई को कृत्रिम बारिश कराए जाने का कार्यक्रम तय था, लेकिन भारी बारिश की संभावना के चलते परीक्षण टाल दिया गया।

क्लाउड सीडिंग

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग एक मौसम परिवर्तन तकनीक है, जो बादलों में विशिष्ट रसायनों को डालकर बारिश को प्रेरित करती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड (टेबल सॉल्ट) या सूखी बर्फ होती हैं। नमी से भरे बादलों में छोड़े जाने पर ये कण बीज का काम करते हैं, जिनके चारों ओर पानी की बूंदें जमा हो जाती हैं। जैसे-जैसे ये बूंदें भारी होती जाती हैं और अंततः बारिश के रूप में जमीन पर गिरती हैं।

ड्रोन 

ड्रोन का किया जाएगा इस्तेमाल

आमतौर पर क्लाउड सीडिंग हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करके की जाती है, जो रसायनिक पदार्थों को छोड़ने के लिए बादलों के अंदर या ऊपर उड़ते हैं। क्लाउड सीडिंग के प्रभावी होने के लिए बादलों में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। बादलों में पर्याप्त जलवाष्प के बिना इन रसायनों के छोड़े जाने से भी बारिश नहीं होगी। कितनी बारिश करानी है और कितने इलाके में करानी है यह पूरा कंट्रोल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से होगा।

फायदा 

इस प्रयोग का क्या होगा फायदा?

यह परीक्षण राजस्थान सरकार के कृषि विभाग के साथ अमेरिका और बेगलुरु की तकनीकी कंपनी जेनएक्स AI मिलकर रही हैं। कृत्रिम बारिश का यह प्रयोग सफल रहा तो यह प्रदेश के लिए बड़ी सौगात होगी और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। इस सफल प्रयोग के बाद किसानों की फसलें बारिश के इंतजार में सूखने नहीं दी जाएगी। सरकार के स्तर पर जरूरतमंद इलाकों में कृत्रिम बारिश करा कर फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा।