मणिपुर: सुप्रीम कोर्ट का अस्पतालों में रखे शवों का 3 दिन में अंतिम संस्कार का निर्देश
मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच अस्पतालों के शव गृहों में रखे शवों के अंतिम संस्कार को लेकर भी तनाव बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिंसा की जांच के लिए नियुक्त समिति ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान बताया कि पीड़ितों के रिश्तेदारों और परिजनों पर नागरिक सामाजिक संगठन काफी दबाव डाल रहे हैं। समिति की रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने 3 दिन के अंदर शवों का अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?
NDTV के मुताबिक, न्यायमूर्ति गीता मित्तल समिति द्वारा कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में कहा गया कि 175 शवों में से कुल 169 शवों की पहचान हो गई है। 81 शवों पर परिजनों ने दावा किया है, जबकि 94 शवों लावारिस हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में काम कर रहे संगठन न तो शव उठाने दे रहे और न ही सहायता राशि लेने दे रहे, जबकि परिजन अंतिम संस्कार करना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्देश दिया?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि जिन शवों को पहचान हो गई है, उनके परिजन 3 दिन में पहले से तय 9 स्थानों पर अंतिम संस्कार करें। कोर्ट ने निकट के परिजनों को 4 दिन के अंदर सूचित करने और लावारिस शवों को स्थानीय कलेक्टर की निगरानी में दफनाने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि शवों को अनिश्चितकाल के लिए नहीं रख सकते।
न्यूजबाइट्स प्लस
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों बेघर हुए।