सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए चढ़ाई शुरू, पांच महिलाओं को वापस भेजा गया
केरल स्थित सबरीमाला मंदिर के पट आज शाम पांच बजे खुल जाएंगे। मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं ने पहाड़ी रास्ते की चढ़ाई शुरू कर दी है। इस यात्रा को देखते हुए राज्य सरकार ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। सुरक्षाकर्मी महिलाओं की उम्र की दस्तावेज देखने के बाद ही उन्हें आगे जाने दे रहे हैं। मंदिर के लिए लगभग पांच किलोमीटर की चढ़ाई पांभा बेस कैंप से शुरू होती है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
20 जनवरी तक खुले रहेंगे पट
शनिवार शाम पांच बजे मंदिर के मुख्य पुजारी इसके पट खोलेंगे। ये पट 20 जनवरी तक खुले रहेंगे। गौरतलब है कि इस मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिए फैसले में यह पाबंदी हटा दी। इस फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनेगी। हालांकि, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसला जारी रहेगा।
पुलिस ने पांच महिलाओं को वापस भेजा
केरल सरकार ने यात्रा आरंभ होने से पहले कहा था कि जो महिलाएं मंदिर में प्रवेश करना चाहती है उन्हें अदालती आदेश साथ लेकर आना होगा। कई संगठनों ने मंदिर में प्रवेश के लिए आने वाली महिलाओं का विरोध करने का ऐलान किया था। वहीं सरकार ने कहा कि वह महिलाओं को सुरक्षा नहीं देगी। शनिवार को मंदिर जाने के लिए पहुंची 10-50 साल की पांच महिलाओं को सुरक्षाकर्मियों ने वापस लौटा दिया।
महिला कार्यकर्ताओं ने कही मंदिर में दर्शन की बात
भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई और चेन्नई के मनिति संगठन की कार्यकर्ताओं ने कहा है कि वो मंदिर में दर्शन करेंगी। उनके अलावा 45 अन्य महिला श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन किया है। राज्य में सरकार चला रही CPI(M) ने महिलाओं से इस मामले में संयम बरतने की अपील की है। पार्टी ने कहा कि महिलाओं को लोगों की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसला का इंतजार करना चाहिए।
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विरोध क्यों?
सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और माहवारी वाली महिला के संपर्क में आते ही उनकी शक्ति कम हो जाती है। इसलिए मंदिर में 10 साल से लेकर 50 साल तक की उम्र वाली महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी। सुप्रीम कोर्ट से 28 सितंबर 2018 को महिलाओं के हक में फैसला आया, जिसमें हर उम्र की महिला को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का केरल में बड़े स्तर पर विरोध हुआ था। हालांकि, इसी बीच कुछ महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश कर भगवान अयप्पा के दर्शन कर लिए थे। महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 65 याचिकाएं दायर हुई थी। अब सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय बेंच सुनवाई करेगी। यह बेंच मस्जिद और अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश और उनके साथ होने वाले भेदभाव पर सुनवाई करेगी।