
#NewsBytesExplainer: लद्दाख में क्यों भड़की हिंसा और क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
क्या है खबर?
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में हिंसा भड़क गई है। यहां की राजधानी लेह में आज प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों में हिंसक झड़प हुई है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया, पुलिस पर पत्थरबाजी की और CRPF की एक गाड़ी में भी आग लगा दी। प्रदर्शन में 4 लोगों के मारे जाने की भी खबर है। प्रदर्शनकारियों की मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की है। आइए लद्दाख हिंसा की वजह समझते हैं।
वजह
क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?
दरअसल, लद्दाख पहले जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था। अगस्त, 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया और ये केंद्र शासित प्रदेश बना। इसी के साथ लेह और करगिल को मिलाकर लद्दाख को भी केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। तब सरकार ने कहा था कि हालात सामान्य होते ही दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ। इसी को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।
मांग
क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
प्रदर्शनकारियों की 2 अहम मांगें हैं। पहली- लद्दाख को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए और दूसरी- वहां पर संविधान की छठवीं अनुसूची लागू की जाए। इसके अलावा प्रदर्शनकारी करगिल और लेह को लोकसभा सीट बनाने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल यहां केवल एक ही लोकसभा सीट है। अनुच्छेद 370 हटने से पहले लद्दाख में 4 विधानसभा सीटें थीं, लेकिन अब एक भी नहीं है। प्रदर्शनकारी इसे भी बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
छठवीं अनुसूची
क्या है संविधान की छठवीं अनुसूची?
छठवीं अनुसूची में आदिवासी आबादी के लिए कई विशेष प्रावधान हैं। इसके तहत जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाए जा सकते हैं। इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता मिलती है। हर स्वायत्त जिले में एक स्वायत्त जिला परिषद (ADC) बनाई जा सकती है। इसे भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, विरासत, विवाह, तलाक और खनन आदि से जुड़े कानून बनाने का हक होता है। पूर्वोत्तर के कई राज्यों असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम में यह विशेष व्यवस्था लागू है।
प्रदर्शन
प्रदर्शनकारी पूर्ण राज्य का दर्जा क्यों मांग रहे हैं?
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि छठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद लद्दाख के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषदें बना सकेंगे। केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले लद्दाख के लोग जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग में गैजेटेड पदों के लिए आवेदन कर सकते थे, लेकिन अब ये विकल्प छीन लिया गया है। पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में लद्दाख से 4 विधायक होते थे, लेकिन अब पूरा प्रशासन नौकरशाही के हाथों में है।
समय
करीब डेढ़ साल से प्रदर्शन कर रहे हैं लोग
अपनी मांगों को लेकर समाज सेवी सोनम वांगचुक के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी करीब 18 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। मार्च, 2024 में वांगचुक 21 दिन के आमरण अनशन पर बैठ गए थे, जिसके बाद केंद्र सरकार ने वार्ता का भरोसा दिया था। सितंबर, 2024 में वांगचुक ने लेह से दिल्ली तक पदयात्रा निकाली थी। इस दौरान वांगचुक को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। इसके बाद से वांगचुक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार
प्रदर्शनकारियों की मांग पर सरकार का क्या रुख है?
प्रदर्शनकारियों की मांग पर जनवरी, 2024 में सरकार ने एक समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय कर रहे हैं। इस समिति ने प्रतिनिधियों से बात की, लेकिन सहमति नहीं बन सकी। सरकार और प्रदर्शनकारियों में बातचीत भी हुई है और अगली वार्ता 6 अक्टूबर को होगी। गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त, 2024 में लद्दाख में 5 नए जिले बनाने की घोषणा की थी। पहले लद्दाख में केवल 2 जिले थे- लेह और करगिल।
बयान
आज की हिंसा पर वांगचुक ने क्या कहा?
हिंसा के बाद वांगचुक ने आमरण अनशन खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा, "यह लद्दाख के लिए दुख का दिन है। हम 5 साल से शांति के रास्ते पर चल रहे थे। अनशन किया, लेह से दिल्ली तक पैदल गए। आज हम शांति के पैगाम को असफल होते देख रहे हैं। हिंसा, गोलीबारी और आगजनी हो रही है। मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील करता हूं कि इस बेवकूफी को बंद करें। हम अपना प्रदर्शन रोक रहे हैं।"