दिल्ली: गणतंत्र दिवस से पहले दीवारों पर लिखे गए देश-विरोधी और खालिस्तानी नारे
दिल्ली में गणतंत्र दिवस से पहले कुछ अज्ञात लोगों के दीवारों पर देश-विरोधी नारे लिखने का मामला सामने आया है। बतौर रिपोर्ट्स, दिल्ली के पश्चिमी विहार समेत अन्य इलाकों में दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में 'खालिस्तान जिंदाबाद', 'रेफरेंडम 2020' और 'वोट फॉर खालिस्तान' जैसे नारे लिखे गए। दिल्ली पुलिस ने मामले की सूचना मिलने पर इन नारों को मिटा दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
यहां देखें दीवारों पर लिखे गए नारे
अंधेरे का फायदा उठा लिखे गए नारे- दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस की जन संपर्क अधिकारी (PRO) सुमन नलवा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के कई सुनसान इलाकों में अंधेरे का फायदा उठाकर देश-विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे गए थे। उन्होंने बताया कि यह सुरक्षा से जुड़ा मामला नहीं है और नारे लिखने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस को लेकर सुरक्षा के पुख्ता और कड़े इंतजाम किए हैं।
'नारे लिखने के पीछे हो सकता है SFJ'
PRO सुमन नलवा ने बताया कि दीवारों पर देश-विरोधी नारे लिखने के पीछे खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा कि SFJ भारत में प्रतिबंधित है और खबरों में बने रहने के लिए इस तरह की हरकतें करने की कोशिश करता रहता है। उन्होंने आगे कहा कि मामले की जांच के साथ-साथ SFJ की मदद करने वाले लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है सिख फॉर जस्टिस?
SFJ एक खालिस्तानी संगठन है, जो सिखों के लिए अलग देश की मांग करता है। इसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क में है और ये कनाडा में सबसे अधिक सक्रिय है। भारत में उस पर किसान आंदोलन के बहाने खालिस्तानी विचारों और हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप है। 26 जनवरी, 2021 को लाल किले पर हुई हिंसा में भी SFJ का नाम आया था। उसे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है।
इससे पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
इससे पहले भी खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखने के मामले सामने आते रहे हैं। पिछले साल जुलाई में हरियाणा में करनाल पुलिस ने एक शख्स को शैक्षिक संस्थानों पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपी ने बताया था कि अमेरिका के एक शख्स ने इसके लिए उसे करीब 80,000 रुपये दिए थे। मई, 2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बाहर खालिस्तान का झंडा लगाने का मामला भी सामने आया था।