जम्मू-कश्मीर: सोपोर में आतंकी हमला, दो पुलिसकर्मियों समेत चार लोगों की मौत
जम्मू-कश्मीर के सोपोर में हुए एक आतंकी हमले में दो पुलिसकर्मियों और दो नागरिकों की मौत हो गई और एक पुलिसकर्मी समेत कम से कम तीन लोग हमले में घायल हुए हैं। घायल नागरिकों को स्थानीय अस्पताल और पुलिसकर्मी को सेना के बेस अस्पताल ले जाया गया है। जानकारी के मुताबिक, शनिवार दोपहर लगभग 12 बजे आतंकियों ने सोपोर के मुख्य चौराहे पर तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और पुलिस की संयुक्त टीम पर गोलीबारी शुरू कर दी थी।
हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ- IG
अधिकारियों ने हमले के बाद इलाकों को सील कर दिया गया है और आतंकियों की तलाश की जा रही है। कश्मीर के IG विजय कुमार ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों ने अरमापोरा इलाके में नाके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई और भाग गए। हमले की जानकारी मिलने के बाद भारी संख्या में सुरक्षाबल मौके पर पहुंचे और अभियान चलाया।
उमर अब्दुला ने की हमले की निंदा
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने इस हमले की निंदा की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'सोपोर से दर्दनाक खबर आ रही है। ऐसे हमलों की खुले तौर पर आलोचना होनी चाहिए। घायलों के जल्द ठीक होने की कामना और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।' बता दें कि कश्मीर में इस महीने का यह दूसरा बड़ा आतंकी घटना है। पिछले हफ्ते पुलवामा में आंतकियों ने भाजपा पार्षद की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
घटनास्थल की तस्वीर
घर में घुसकर मारी थी भाजपा पार्षद को गोली
2 जून को आतंकियों ने भाजपा पार्षद राकेश पंडित की त्राल में हत्या कर दी थी। उस वक्त पंडित अपने दोस्त के घर पर थे। जानकारी के अनुसार, तीन आतंकियों ने घर में घुसकर राकेश पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। हमले में एक महिला घायल हुई थी। राकेश पंडित 2018 के नगर निगम चुनाव में त्राल से निर्विरोध पार्षद चुने गए थे।
पहले भी हो चुके हैं भाजपा नेताओं पर आतंकी हमले
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में किसी भाजपा नेता पर आतंकी हमले का ये पहला मामला नहीं है और इससे पहले भी भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की हत्या की जा चुकी है। पिछले साल जुलाई में भाजपा नेता शेख वसीम बारी की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिस समय उन पर हमला हुआ, वह पुलिस स्टेशन से चंद मीटर दूर स्थित एक दुकान पर बैठे थे। उन्हें भी सुरक्षा मिली हुई थी।