राष्ट्रपति ने खारिज की निर्भया गैंगरेप के दोषी की दया याचिका, फांसी का रास्ता साफ
राष्ट्रपति कोविंद ने निर्भया कांड के दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज कर दी है। इसके साथ ही उसका फांसी पर लटकना तय हो गया है। बता दें कि मुकेश ने क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने मुकेश की फांसी की सजा को बरकरार रखने को कहा है। दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से इस याचिका को खारिज करने की सिफारिश की थी।
अब आगे क्या?
मुकेश के पास फांसी से बचने के लिए दया याचिका आखिरी विकल्प था। इसके खारिज होते ही उसे फांसी होना निश्चित हो गया है। चूंकि मुकेश के साथ तीन अन्य दोषियों को भी फांसी की सजा सुनाई गई है इसलिए उन पर अंतिम फैसला होने तक उसको फांसी नहीं हो सकेगी। इन तीन दोषियों में से दो के पास क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका और एक के पास दया याचिका का विकल्प बचा हुआ है।
किस दोषी के पास अब क्या विकल्प?
सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को मुकेश और विनय की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज की थी, जिसके बाद मुकेश ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेज दी थी, लेकिन विनय ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। वहीं बाकी दो दोषी अक्षय और पवन के पास अभी भी दो-दो कानूनी विकल्प बचे हुए हैं। ये दोनों डेथ वारंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन और उसके खारिज होने पर राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा सकते हैं।
क्या कहते हैं नियम?
नियमों के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा दी गई है और इनमें से किसी एक की भी दया याचिका लंबित है, तो उस पर फैसला आने तक किसी भी दोषी को फांसी नहीं होगी। वहीं अगर राष्ट्रपति किसी दोषी की दया याचिका खारिज कर देते हैं तो उसके बाद उसे फांसी देने से पहले 14 दिन का समय दिया जाता है ताकि वह परिजनों से मुलाकात कर सके।
संविधान में दिया गया है राष्ट्रपति को अधिकार
राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत दया याचिका पर सुनवाई करने का अधिकार है। सरकार किसी याचिका पर अपनी सिफारिश उन्हें भेजती है और फिर राष्ट्रपति अपना फैसला देते हैं। अभी तक के राष्ट्रपतियों का ऐसी याचिकाओं पर रिकॉर्ड यहां देख सकते हैं।
2013 में हुई थी चारों को फांसी की सजा
16 दिसंबर, 2012 की रात को छह लोगों ने निर्भया का गैंगरेप कर उसकी हत्या कर दी थी। इस मामले में एक आरोपी नाबालिग था और दूसरे आरोपी राम सिंह ने फांसी लगाकर जेल में आत्महत्या कर ली थी। बाकी बचे चारों आरोपियों को दोष साबित होने पर 13 सितंबर, 2013 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। आप यहां क्लिक कर इस पूरी घटनाक्रम की क्रोनोलॉजी समझ सकते हैं